खेती कैसे करे- अकरकरा की खेती करने में लगभग 6 से 8 महीने का समय लगता है | यह फसल सम शीतोष्ण जलवायु में अच्छे से विकास करती है इसकी खेती को खासकर भारत के मध्य राज्यों में उगाया जाता है, जैसे:- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र आदि ऐसे राज्य है, जहाँ इसकी खेती अधिक होती है | इसकी खेती पर अधिक सर्दी और तेज गर्मी का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है, यह पौधा छोटी-छोटी पत्तियों से घिरा भूमि सतह पर ही गोलाकार रूप में विकसित होता है इसकी खेती में भूमि का P.H. मान सामान्य होना चाहिए |
समशीतोष्ण जलवायु को सबसे अच्छा माना गया है | भारत में इसकी खेती रबी की फसल के बाद की जाती है, अकरकरा की फसल को अधिक धूप की जरूरत होती है | इसकी खेती को छायादार जगहों पर नहीं किया जा सकता है क्योंकि छायादार जगह पर इसके पौधों की जड़ो का अच्छे से विकास नहीं हो पाता है | इसलिए इसकी खेती को छायादार जगहों पर नहीं करना चाहिए और न ही ज्यादा बारिश वाली जगह पर, क्योकि इसे अधिक जल की भी जरूरत नहीं होती है | अकरकरा के पौधों पर सर्दी और गर्मी के मौसम का असर इसकी पैदावार पर नहीं होता है, क्योकि यह पौधे सर्दियों में गिरने वाले पीला को भी सहन कर लेते है | पौधों को शुरुआत में अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | इसके पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए न्यूनतम 15 और अधिकतम 30 डिग्री तापमान की जरुरत होती है, तथा पौधों के पकने के समय इन्हे 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है |
पौधों के रूप में इसके पौधों की रोपाई भी मेड़ पर ही की जाती है, मेड़ पर इसके पौधों को जिगजैग तरीके का इस्तेमाल कर 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए , तथा रोपाई करते समय 4 से 5 सेंटीमीटर की गहराई में लगाना चाहिए | पौधों की रोपाई के लिए शाम के वक़्त को काफी उपयुक्त माना गया है, इससे पौधे अच्छी तरह से अंकुरित होते है | खेती में बीज और पौधों की रोपाई को अक्टूबर और नवंबर महीने के बीच में करना चाहिए, क्योकि यह समय पौधों के विकास के लिए उपयुक्त माना गया है |
पौधों की रोपाई के लगभग 5 से 6 माह के बाद पौधे खेत से खुदाई के लिए तैयार हो जाते है | वह पौधे जो पूरी तरह से पक चुके होते है उनकी पत्तिया पीले रंग की हो जाती है, और पौधे सूखने की स्थिति में होते है | उनकी खुदाई गहरी मिट्टी उखाड़ने वाले हलो से कर लेनी चाहिए तथा खुदाई से पहले पौधों पर बने बीज वाले डंठलों को तोड़कर जमा कर ले | एक एकड़ में लगभग डेढ़ से दो क्विंटल तक के बीज तैयार हो जाते है |
जड़ो से उखाड़े गए इन पौधों को साफ कर पौधों से काट कर अलग कर लेना चाहिए, तथा जड़ो से अलग करने के बाद उन्हे दो से तीन दिन तक छायादार जगह या फिर हल्की धूप में सूखाकर बोरो में भरकर बाजार में बेच दिया जाता है | सिंगल जड़ वाली फसल का बाजारी भाव अधिक होता है |
अकरकरा नपुंसकता और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज के लिए बेहतर उपाय है और इससे ब्लड प्रेशर भी नहीं बढ़ता है.
इसके अलावा साइलेंडाफील की तुलना में इसके कम दुष्प्रभाव हैं. इसे अकेले उपयोग किए जाने पर कुछ सप्ताह के बाद अकरकरा की प्रभाविता कम हो जाती है.
1- अकरकरा इच्छा को उत्तेजित करता है और जननांगों की ओर खून के बहाव को बढ़ाता है. अकरकरा कामोत्तेजक, कामेच्छा उत्तेजक और स्पर्मेंटोजेनिक क्रियाएं होती है. यह एंड्रोजन के स्राव को प्रभावित करता है और उसके बनने को बढ़ाता है. अकरकरा प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है. स्पर्म की संख्या बढ़ाता है और पुरुषों की कामेच्छा में बेहतर सुधार लाता है.
2-अकरकरा जेनीटलश में खून के प्रवाह को बढ़ाता है. जिससे कामेच्छा बढ़ जाती है. इजेकुलेशन में देरी होती है और पुरुषों की कामेच्छा में कमी को ठीक करता है. यह वीर्य के रिटेंशन को भी तेज करता है.
3-अकरकरा की जड़ का पाउडर बहुत उपयोगी होता है क्योंकि कपूर के साथ हल्की मालिश करने से दांत दर्द में मदद मिलती है. दांत के दर्द को कम करने के लिए काली मिर्च, अजवाइन खुरासानी और भाभिरंग के साथ इसका उपयोग कर सकते हैं.
4- काली मिर्च और लंबी काली मिर्च के साथ अकरकरा की जड़ का पाउडर सामान्य सर्दी ठीक करने में मददगार होता है. इसमें एंटीवायरल गुण होते हैं जो फ्लू के सभी लक्षणों को कम करता है और नाक बंद होने को कम करता है.
5- अकरकरा की जड़ का एक और लाभ यह है कि इसका उपयोग मिर्गी और दौरे को ठीक करने के लिए मददगार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. अध्ययनों से पता चला है कि इसका मूल अर्क सुरक्षात्मक काम करता है. इसलिए यह सीजर्स को रोकने में मदद करता है.
6- अकरकरा की फूलों को चबाने से दांत दर्द से राहत मिलता है. यह एनाल्जेसिक है जो दांत के दर्द के उपचार में मददगार होता है.
जाने कैसे कर सकते हैं अकरकरा के उपयोग-
भोजन के बाद सादे पानी के साथ अकर्करा के चूर्ण को सही मात्रा में लेना चाहिए. इसके लिए 100 मिलीलीटर सादे पानी में 3 ग्राम अकर्करा पाउडर मिला सकते हैं और इसे दिन में 1 बार सेवन कर सकते हैं। hjk
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