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सातवें चरण में इनकी क़िस्मत का भी होगा फ़ैसला:यू पी विधानसभा चुनाव

 इस चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाले वाराणसी और अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र वाले आजमगढ़ ज़िले में भी मतदान होने हैं. साफ़ है कि इन ज़िलों में दोनों बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. इसके अलावा चंदौली, भदोही, मिर्ज़ापुर, रॉबर्ट्सगंज, ग़ाज़ीपुर, मऊ और जौनपुर ज़िलों में वोट डाले जाएंगे.

वैसे तो इन 54 सीटों पर 2 करोड़ से ज़्यादा वोटर, 613 उम्मीदवारों की क़िस्मत का फ़ैसला करेंगे, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जिन पर ख़ास नज़र रहेगी.

1-नीलकंठ तिवारी (वाराणसी दक्षिण)

वाराणसी की बात करें तो पूरे देश की नज़र यहां की आठों विधानसभा क्षेत्रों पर है. लेकिन वाराणसी दक्षिण सीट पर ख़ास नज़र रहेगी. इस सीट की अहमियत इस बात से समझ सकते हैं कि विश्वनाथ मंदिर समेत बनारस के सभी चर्चित मंदिर इसी इलाक़े में हैं. इतना ही नहीं दुनियाभर में मशहूर बनारसी साड़ी का गढ़ भी यही इलाक़ा है। बीजेपी ने इस सीट से मौजूदा विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री नीलकंठ तिवारी पर भरोसा जताया है. वैसे तो साल 1989 से लगातार इस सीट पर बीजेपी का क़ब्ज़ा है. लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग बताया जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने यहां से किशन दीक्षित को उतारा है जो चर्चित मंदिर महा मृत्युंजय के महंत परिवार से हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि मंदिरों के पुजारी और पंडा उनके साथ आ सकते हैं जो पिछली बार बीजेपी के साथ रहे। 

यह पीएम मोदी की संसदीय सीट का इलाका है। इसलिए भी बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी है, ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी ने सातवें चरण के मतदान से पहले वाराणसी में तीन दिनों तक कैंप करके पार्टी का चुनाव प्रचार किया है। 

यूपी में दोपहर एक बजे तक 35.51% वोटिंग

यूपी में दोपहर एक बजे तक अंतिम चरण के दौरान 35.51% वोटिंग हुई है. सबसे कम वोटिंग वाराणसी में 33.62 फीसदी हुई है. इसके अलावा आजमगढ़ में 34.63 फीसदी, मऊ में 37.08 फीसदी, जौनपुर में 35.81 फीसदी, गाजीपुर में 33.71 फीसदी, मिर्जापुर में 38.10 फीसदी, भदोही में 35.59 फीसदी और सोनभद्र में 35.87 फीसदी मतदान हुआ है। 

2-ओमप्रकाश राजभर (जहूराबाद, ग़ाज़ीपुर)

मौजूदा विधानसभा चुनाव में गठबंधन से लेकर आरोप-प्रत्यारोपों में अहम किरदार निभाने वाले ओमप्रकाश राजभर ग़ाज़ीपुर की जहूराबाद सीट से ताल ठोक रहे हैं।  सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के मुखिया और जहूराबाद के मौजूदा विधायक राजभर पिछले चुनाव में जहां बीजेपी का साथ निभा रहे थे तो इस बार वो समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में उतरे हैं। 

जहूराबाद सीट पर राजभर की टक्कर बीजेपी के कालीचरण राजभर और बीएसपी की सैयदा शादाब फ़ातिमा से है. ओमप्रकाश राजभर की ही तरह इन दोनों उम्मीदवारों का भी समीकरण मौजूदा चुनाव में बदला हुआ है। कालीचरण राजभर दो बार बीएसपी से विधायक रह चुके हैं।  इस बार वो बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं शादाब फ़ातिमा यहां समाजवादी पार्टी से बीएसपी में आकर चुनौती दे रही हैं. ख़ैर, इस सीट पर सारे समीकरण बदल गए हैं तो मुक़ाबला त्रिकोणीय बताया जा रहा है। 

 

3-अब्बास अंसारी (मऊ सदर,मऊ)

बाहुबली नेता मुख़्तार अंसारी तो जेल में हैं, लेकिन उनके बेटे अब्बास अंसारी मऊ सदर सीट से मैदान में हैं. ये वही सीट है जहां से मुख़्तार अंसारी लगातार पांच बार विधायक चुने गए हैं. अंसारी ही यहां से मौजूदा विधायक हैं। इस बार अब्बास अंसारी यहां सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से उम्मीदवार हैं. पिछले कई बार से बीजेपी से उम्मीदवारी हासिल करने की कोशिश में लगे अशोक सिंह को पार्टी ने यहां से उम्मीदवार बनाया है. अशोक सिंह लगातार ये आरोप लगाते आए हैं कि उनके भाई की हत्या में मुख़्तार अंसारी का हाथ था। पिता मुख़्तार अंसारी के जेल में होने की वजह से अब्बास अंसारी चुनाव प्रचार में लगे हुए थे और अपने पिता के नाम पर वोट मांगते नज़र आ रहे थे। 

4-धनंजय सिंह (मल्हनी, जौनपुर)

पूर्वांचल के चर्चित बाहुबली नेताओं में से एक धनंजय सिंह पर भी सातवें चरण में नज़र होगी। आपराधिक पृष्ठभूमि की वजह से अक्सर चर्चा में रहने वाले धनंजय सिंह के राजनीतिक करियर के लिए ये चुनाव ख़ास अहमियत रखता है. धनंजय इस बार फिर जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर वो मौजूदा विधायक और मुलायम परिवार के क़रीबी नेता लकी यादव को चुनौती देंगे. मल्हनी सीट से मुलायम के क़रीबी और पुराने साथी पारसनाथ यादव दो बार विधायक रह चुके हैं। 

पारसनाथ के निधन के बाद लकी यादव उपचुनाव में जीतकर आए थे तब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे धनंजय सिंह को मात दी थी। मल्हनी में मुलायम सिंह यादव भी प्रचार करने आए थे और पारसनाथ का ज़िक्र करते हुए लकी यादव के लिए वोट मांगते नज़र आए. ऐसे में लकी यादव को कड़े मुक़ाबले का सामना करना पड़ सकता है. बीजेपी ने यहां केपी सिंह को उतारा है। 

5-दारा सिंह चौहान (घोसी, मऊ) 

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह चौहान चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और फिर अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले दारा सिंह चौहान जब सपा में आए तो ख़ूब सुर्खियों में रहे.2017 में मऊ के मधुबन से चुनाव लड़ने वाले दारा सिंह को समाजवादी पार्टी ने घोसी सीट से उम्मीदवार बनाया है. अब चौहान का मुक़ाबला बीजेपी के मौजूदा विधायक विजय राजभर, बीएसपी के वसीम अहमद और कांग्रेस की प्रियंका यादव से है.2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के फागू चौहान ने जीत दर्ज़ की थी. बाद में फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाया गया और उपचुनाव में विजय राजभर बीजेपी से जीतकर आए। अब एक तरफ़ दारा सिंह चौहान अपने चुनावी प्रचार में बीजेपी को पिछड़ों-दलितों की उपेक्षा करने वाली पार्टी बताते नज़र आ रहे थे तो दूसरी तरफ़ बीजेपी उन्हें दगाबाज़ बता रही थी। 

इन पांच सीटों के अलावा कई दूसरी सीटों पर भी कड़ा मुक़ाबला देखना पड़ सकता है. नीलकंठ तिवारी के अलावा भी योगी सरकार के दूसरे मंत्री जैसे अनिल राजभर, गिरीश यादव, रमाशंकर पटेल और रविंद्र जायसवाल भी मैदान में हैं। 

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