NGO
का FCRA पंजीकरण रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में
दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि कम लाइसेंस रद्द करने से कोविड
राहत प्रयासों पर असर पड़ सकता है।
नई दिल्ली:-विदेशी चंदे के लिए 6,000 से ज्यादा NGO के FCRA लाइसेंस रद्द करने का मामले पर सुप्रीमकोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा. जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि ये मामला तीन जजों की बेंच के पास सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाएगा. दरअसल, 6,000 से ज्यादा NGO का FCRA पंजीकरण रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि कम लाइसेंस रद्द करने से कोविड राहत प्रयासों पर असर पड़ सकता है. याचिका में गैर सरकारी संगठनों के FCRA लाइसेंस तब तक बढ़ाने की मांग की गई जब तक कि कोविड को 'राष्ट्रीय आपदा' के रूप में अधिसूचित रखा जाता है। अमेरिका के NGO ग्लोबल पीस इनिशिएटिव ने ये याचिका दाखिल की है. याचिका में मदर टेरेसा द्वारा शुरू किए गए मिशनरीज ऑफ चैरिटी का भी जिक्र है, हालांकि केंद्र ने 6 जनवरी को उसके FCRA लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि इन गैर सरकारी संगठनों द्वारा लाखों भारतीयों की मदद की जाती है,
इन हजारों गैर सरकारी संगठनों के FCRA पंजीकरण को अचानक और मनमाने ढंग से रद्द करना संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन लाखों भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन है, जिनकी वे सेवा करते हैं. विशेष रूप से ऐसे समय में प्रासंगिक है, जब देश कोविड -19 वायरस की तीसरी लहर का सामना कर रहा है. इस समय करीब 6000 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द करने से राहत प्रयासों में बाधा आएगी और जरूरतमंद नागरिकों को सहायता से वंचित किया जाएगा. महामारी से निपटने में मदद करने में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका को केंद्र सरकार, नीति आयोग और खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी स्वीकार किया है।
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