महाराष्ट्र में मराठवाड़ा
के मजलगांव तहसील का लावुल गांव पिछले एक हफ़्ते से पूरी दुनिया में चर्चा
में है। इस चर्चा की वजह है यहां के बंदरों और कुत्तों के बीच खूनी संघर्ष-
इस ख़बर को लेकर मीडिया
संस्थानों में कई तरह के दावे किए गए. कई मीडिया प्रकाशनों ने यह भी दावा
किया कि बंदरों ने कुत्तों के 200 पिल्लों को मार डाला। इन दावों की सत्यता की जांच हमारी टीम ने की तो दूसरी ही तस्वीर सामने आई।
जानते है पूरी दांस्ता-
लावुल मराठवाड़ा के बीड ज़िले
के मजलगांव तहसील से महज़ पांच से सात किलोमीटर दूर स्थित एक गांव है। बंदर और कुत्तों
के बीच संघर्ष के रहस्य को जानने के लिए टीम लावुल गांव पहुंची। रोज़मर्रा के
दिनों की तरह ही गांव की बड़ी आबादी अपने काम-धंधे में जुटी थी. गांव में
प्रवेश करने के बाद हम कुछ ही दूर लावुल ग्राम पंचायत कार्यालय पहुंचे और
इस घटना के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की।
उस समय कार्यालय में ग्राम
पंचायत के सदस्य और अन्य कर्मचारी मौजूद थे। इसके अलावा अपने-अपने काम के
सिलसिले में वहां आए आम लोग भी थे, हमने इन लोगों से जानना चाहा कि आख़िर
पूरा मामला है क्या ?इसके बाद उन लोगों ने इस घटना के बारे में विस्तार से बताना शुरू किया..........
फिर बंदर आया और…...
वैसे तो देश-दुनिया की मीडिया
में यह ख़बर पिछले सप्ताह ही सुर्ख़ियों में आई लेकिन लावुल गांव के लोगों
के मुताबिक इस संघर्ष की शुरुआत सितंबर महीने में हुई थी। सितंबर की शुरुआत
में लावुल गांव में दो बंदर आए थे। लोगो के मुताबिक गांव में बहुत बंदर नहीं हैं, कभी-कभी आते थे लेकिन
ज़्यादा परेशान नहीं करते थे, लेकिन इस बार बंदरों के आने के बाद गांव में
विचित्र घटनाएं देखने को मिलीं। इन बंदरों ने पिल्लों को उठाया
और उन्हें पेड़ों या ऊंचे घरों में ले गए। पहले तो गाँव के लोगो को ज़्यादा
समझ नहीं आया, लेकिन फिर उन्होंने देखा कि बंदर धीरे-धीरे पिल्लों को लेकर
भाग रहे हैं।
अरे फिर क्या हुआ…जानिए
बंदर जिन पिल्लों को पेड़ या
ऊंचे घरों पर ले गए, उनमें से कुछ ऊपर से गिर पड़े और गिरने से उनकी मौत हो
गई। यहीं से अफ़वाह फैलने लगी कि बंदर पिल्लों को मार रहे हैं और ये बात
फैलती गई। इसके बाद कई तरह की बात फैलने
लगी जैसे कि बंदर ने किसी का पीछा किया या किसी के सामने से बंदर गुज़रा तो
वह शख़्स अचानक गिर गया और घायल हो गया। कई बार लोगों ने यह भी सुना कि
बंदरों ने बच्चों का पीछा किया. इसके बाद लोग अपने घरों को अंदर से बंद
करके रखने लगे और यह मामला ग्राम पंचायत तक भी पहुंचा गया।
पहले वन विभाग ने की उपेक्षा की-
गांव में दहशत का माहौल था. इसलिए ग्राम पंचायत ने वन विभाग में शिकायत दर्ज कर मदद लेने की कोशिश की, वन विभाग को लिखित जानकारी दी थी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद दोबारा पत्राचार किया
गया, उस पर भी ध्यान नहीं दिया गया.। गांव वालों ने बताया कि इसके बाद उन लोगों ने आख़िरकार मीडिया की मदद ली और मीडिया में प्रचार और चर्चा के बाद तुरंत कार्रवाई की गई।
पिल्ले की मदद से पकड़ा गया बंदर
मीडिया में काफ़ी चर्चा के बाद
आख़िरकार धारूर वन विभाग ने बंदरों को पकड़ने के लिए नागपुर में अपनी टीम
से संपर्क किया और उन्हें बुलाया गया।
इसके बाद 19 दिसंबर को नागपुर
से आई टीम ने जाल बिछाकर बंदरों को पकड़ लिया. चूंकि बंदर पिल्लों को उठा
रहे थे इसलिए बंदरों को बुलाने के लिए पिंजरे में एक पिल्ला रखा गया था। इन बंदरों को पकड़ने के बाद उन्हें उनके
प्राकृतिक आवास यानी जंगल में छोड़ दिया गया।
जानते है अफ़वाह फैलने की वजह-
जैसे-जैसे मरे हुए पिल्लों की
संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे गांव में अफ़वाहें भी ज़ोर पकड़ती गईं। इनमें
कई तरह की अफ़वाहें शामिल थीं। ये पूरा मामला कैसे शुरू हुआ इसको लेकर कई
तरह की अफ़वाह देखने को मिली। ऐसे ही एक अफ़वाह में कहा गया
कि पहले कुत्तों ने एक नवजात बंदर को मार डाला, इसके बाद बंदरों ने पिल्लों
को मारना शुरू किया और इसके लिए पिल्लों को ऊपर से नीचे फेंकना शुरू किया।
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