बटन मशरूम |
भारत मेें मशरुम की खेती-आम प्रजातियां
भारत में उगने वाले मशरूम की दो सर्वाधिक आम प्रजातियां वाईट बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम है। हमारे देश में होने वाले वाईट बटन मशरूम का ज्यादातर उत्पादन मौसमी है। इसकी खेती परम्परागत तरीके से की जाती है। सामान्यता, अपॉश्चयरीकृत कूडा खाद का प्रयोग किया जाता है, इसलिए उपज बहुत कम होती है। तथापि पिछले कुछ वर्षों में बेहतर कृषि-विज्ञान पदधातियों की शुरूआत के परिणामस्वरूप मशरूमों की उपज में वृद्धि हुई है। आम वाईट बटन मशरूम की खेती के लिए तकनीकी कौशल की आवश्यकता है। अन्य कारकों के अलावा, इस प्रणाली के लिए नमी चाहिए, दो अलग तापमान चाहिए अर्थात पैदा करने के लिए अथवा प्ररोहण वृद्धि के लिए (स्पॉन रन) 220-280 डिग्री से, प्रजनन अवस्था के लिए (फल निर्माण) : 150-180 डिग्री से; नमी: 85-95 प्रतिशत और पर्याप्त संवातन सब्स्ट्रेट के दौरान मिलना चाहिए जो विसंक्रमित हैं और अत्यंत रोगाणुरहित परिस्थिति के तहत उगाए न जाने पर आसानी से खराब हो सकते हैं।
आएस्टर मशरूम
ऑएस्टर मशरूम का वैज्ञानिक नाम-प्लयूरोटस
प्लयूरोटस, ऑएस्टर मशरूम का वैज्ञानिक नाम है। भारत के कई भागों में, यह ढींगरी के नाम से जाना जाता है। इस मशरूम की कई प्रजातिया है उदाहणार्थ :- प्लयूरोटस ऑस्टरीयटस, पी सजोर-काजू, पी. फ्लोरिडा, पी. सैपीडस, पी. फ्लैबेलैटस, पी एरीनजी तथा कई अन्य भोज्य प्रजातियां। मशरूम उगाना एक ऐसा व्यवसाय है, जिसके लिए अध्यवसाय धैर्य और बुद्धिसंगत देख-रेख जरूरी है और ऐसा कौशल चाहिए जिसे केवल बुद्धिसंगत अनुभव द्वारा ही विकसित किया जा सकता है।
इसे 2 तरीके से लगाया जा सकता है पर इस प्रेकार करने से अधिक पैदावार होगी ,
खेती करने का विशेष तरीका -
भूसे को हाथ के यंत्र से 3-5 सेमी लम्बे टुकडों में काटिए तथा टाट की बोरी में भर दीजिए। एक ड्रम में पानी उबालिए। जब पानी उबलना शुरू हो जाए तो भूसे के साथ टाट की बोरी को उबलते पानी में रख दीजिए तथा 30 मिनट तक उबालिए। इसके पश्चात फेरी को ड्रम से हटा लीजिए तथा 12 घंटे तक पड़े रहने दीजिए ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए तथा चोकर को ठंडा होने दीजिए। इस बात का ध्यान रखा जाए कि ब्लॉक बनाने तक थैले को खुला न छोड़ा जाए क्योंकि ऐसा होने पर उबला हुआ चोकर संदूषित हो जाएगा। हथेलियों के बीच में चोकर को निचोड़कर चोकर की वांछित नमी तत्व का परीक्षण किया जा सकता है तथा सुनिश्चित कीजिए कि पानी की बूंदे चोकर से बाहर न निकलें।
बटन मशरूम |
- लकड़ी का एक सांचा लीजिए तथा चिकने फर्श पर रख दीजिए। पटसून की दो रस्सियों ऊर्ध्वाधर एवं अनुप्रस्थ रूप में रख दीजिए। प्लास्टिक की शीट से अस्तर लगाइए जिसे पहले उबलते पानी में डुबोकर कीटाणुरहित किया गया है।
- 5 सेमी. के उबले चोकर को भर दीजिए तथा लकड़ी के ढक्कन की मदद से इसे सम्पीडित कीजिए तथा पूरी सतह पर स्पान को छिड़किए।
- स्पानिंग की प्रथम तह के उपरान्त 5 सेमी का अन्य चोकर रखिए तथा सतह पर पुन: स्थान का छिड़काव करें तथा प्रथम तह में किए गए की तरह इसे सम्पीडित कीजिए। इस प्रकार तह पर स्पान को 4 से 6 तह तक के लिए तब तक छिड़किए जब तक चोकर सांचे के शीर्ष के स्तर तक न आ जाए। एक (1) एक पैकेट स्पान का इस्तेमाल 1 क्यूब अथवा ब्लाक के लिए किया जाना चाहिए।
- अब प्लास्टिक की शीट सांचे की शीर्ष पर मोडी जाए प्लास्टिक के नीचे पहले रखी गई पटसून की रस्सियों से उसे बांध दिया जाए।
- बांधने के उपरांत सांचे को हटाया जा सकता है तथा चोकर का आयताकर खंड पीछे बच जाता है।
- वायु के लिए खंड के सभी तरफ छेद (2 मिमी व्यास) बनायें।
- ऊष्मायन कक्ष में ब्लॉक को रख दीजिए उन्हें सरल तह में एक दूसरे के बगल रखा जाए तथा इस बात का ध्यान रखा जाए कि उन्हें फर्श पर अथवा एक दूसरे के शीर्ष पर सीधे न रखा जाए क्योंकि इससे अतिरिक्त ऊष्मा उत्पन्न होगी।
- ब्लॉक का तापमान 250 से. पर रखा जाए। ब्लॉक के छिद्रों में एक तापमापक डालकर इसे नोट किया जा सकता है। यदि तापमान 250 से. से ऊपर जाता है तो कमरे में गैस भरने की सलाह दी जाती है। तथा यदि तापमान में गिरवाट आती है, तो कमरे को धीरे-धीरे गर्म किया जाना चाहिए।
- पूरे पयाल में फैलने के लिए स्पान को 12 से 15 दिन लगता है तथा जब पूरा ब्लॉक सफेद हो जाए तो यह निशान है कि स्पान संचालन पूरा हो गया है।
- अण्डज परिपालन के उपरांत ब्लॉक से रस्सी तथा प्लास्टिक की शीट को हटा दीजिए। नारियल की रस्सी से ब्लॉक को अनुप्रस्थ रूप में बांध दीजिए तथा इसे फसल कक्ष में लटका दीजिए। इस अवस्था से आगे कमरे की सापेक्ष आर्द्रता 85 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए। ऐसे दीवारों तथा कमरे की फर्श पर जल छिड़क करके समय-समय पर किया जा सकता है। यदि फर्श सीमेंट का है, तो सलाह दी जाती है कि फर्श पर पानी डालिए ताकि फर्श पर हमेश पानी रहे। यदि खंड हल्का से सूखने का लक्षण जिससे लगे तो स्प्रेयर के माध्यम से स्प्रे किया जा सकता है।
- एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर ब्लॉक की सतह पर छोटे-छोटे पिन शीर्ष दिखाई पड़ेगे तथा ये एक या दो दिन के भीतर पूरे आकार के मशरूम हो जाएंगे।
- जब फल बनना शुरू होता है तो हवा की जरूरत बढ़ जाती है। अत: जब एक बार फल बनना शुरू हो जाता है तो आवश्यक है कि हर 6 से 12 घण्टो बाद कमरे के सामने और पीछे दिए गए वेंटीलेटर खोलकर ताजी हवा अंदर ली जाए।
- जब आवरणों की परिधि ऊपर की ओर मुड़ना शुरू हो जाती है तो फल काया (मशरूम) तोड़ने के लिए तैयार हो जाते है। ऐसा जाहिर होगा क्योंकि छोटी-छोटी सिलवटें आवरण पर दिखाई पड़ने लगती है।
- मशरूम को काटने के लिए अंगूठे एवं तर्जनी से आधार पर डाल को पकड़ लीजिए तथा हल्के क्लाकवाइज मोड़ से पुआल अथवा किसी छोटे मशरूम उत्पादन को विक्षोभित किए बिना मशरूम को डाल से अलग कर लीजिए। काटने के लिए चाकू अथवा कैंची का इस्तेमाल मत करें। एक सप्ताह के बाद ब्लॉक में फिर से फल आने शुरू हो जाएंगे। मशरूम से बन रहे कई प्रोडक्ट जिम और फिटनेस क्लब में उपयोग होने वाले पाउडर से लेकर एक दर्जन प्रोडेक्ट मशरूम से तैयार हो सकते हैं। जैसे अचार, खाने की सब्जी, बरी, पेस्ट, पाउडर, घोल, मेडिकल में इसका उपयोग होता है। साथ ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट के माध्यम से यह व्यापार और अच्छा हो सकता है।
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