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कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं और कैसे करे बचाव।


 पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक़, 85% कोरोना के मरीज़ों में इनमें से कम से कम एक लक्षण देखा जाता है.ओएनएस के एक हालिया सर्वे के मुताबिक़, नए वेरिएंट से संक्रमित लोगों में पुराने वेरिएंट की तुलना में खांसी, गले में ख़राश, थकान और मांसपेशियों में दर्द होने की संभावना ज़्यादा है.ऐसे में अगर आप या आप जिन लोगों के साथ रहते हों उनमें किसी में ये लक्षण हों तो घर में ही खुद को सेल्फ़ आइसोलेट करना चाहिए ताकि ये संक्रमण दूसरों तक नहीं पहुंचे। 

अमरीकी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक ठंड लगना, कंपकंपी महसूस होना, मासंपेशियों में दर्द और गले में खराश होना भी कोरोना वायरस की चपेट में आने के संकेत हो सकते हैं। माना जा रहा है कोरोना वायरस के लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन पांच दिन का वक्त लग सकता है लेकिन कुछ लोगों में ये वक्त कम भी हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है। आपके टेस्ट का नतीजा पॉज़िटिव आता है तो आपके पूरे घर को सेल्फ आइसोलेशन में रहना जारी रखना होगा.कोरोनो वायरस कई अंगों पर असर डाल सकता है और लोगों को अलग-अलग तरह के लक्षण हो सकते हैं.

40 लाख लोगों के डेटा को देखने वाले वैज्ञानिक कहते हैं कि कोविड के छह प्रकार हो सकते हैं.

  • 1-बुखार नहीं होता, लेकिन फ्लू की तरह: सिरदर्द, गंध ना आना, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, गले में खराश, सीने में दर्द, बुखार न होना
  • 2-बुखार के साथ फ्लू जैसा: सिरदर्द, गंध ना आना, खांसी, गले में खराश, गला बैठना, बुखार, भूख न लगना
  • 3-गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल:सिरदर्द, गंध ना आना, भूख ना लगना, दस्त, गले में खराश, सीने में दर्द, इसमें खांसी नहीं होती
  • 4-थकान (गंभीरता का स्तर एक): सिरदर्द, गंध ना आना, खांसी, बुखार, गला बैठना, सीने में दर्द, थकान
  • 5-कन्फ्यूजन (गंभीरता का स्तर दो): सिरदर्द, गंध ना आना, भूख ना लगना, खांसी, बुखार, गला बैठना, गले में खराश, सीने में दर्द, थकान, भ्रम, मांसपेशियों में दर्द
  • 6-पेट और श्वसन (गंभीरता का स्तर तीन): सिरदर्द, गंध ना आना, भूख ना लगना, खांसी, बुखार, गला बैठना, गले में खराश, सीने में दर्द, थकान, भ्रम, मांसपेशियों में दर्द, सांस की तकलीफ, दस्त, पेट दर्द

और शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि उल्टी, दस्त और पेट में ऐंठन बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण का संकेत हो सकता है। सामान्य फ्लू और अन्य संक्रमणों का कारण बनने वाले अन्य वायरसों के लक्षण भी कोविड जैसे होते हैं. ठंड में ऐसे खांसी की समस्या अकसर हो जाती है। 

यदि आपको कोविड है तो क्या करना चाहिए?

अगर आपका टेस्ट पॉज़िटिव आता है तो आपको लक्षण शुरू होने के वक़्त से कम से कम 10 दिन के लिए ख़ुद को घर में सेल्फ-आइसोलेट कर लेना चाहिए। आपको अपने घर के दूसरे सदस्यों से दूर रहना चाहिए. घर के दूसरे लोगों को भी कम से कम 10 दिन के लिए ख़ुद को सेल्फ-आइसोलेट कर लेना चाहिए। कुछ लोगों में सिर्फ हल्के लक्षण होंगे, जिन्हें पेरासिटामोल जैसी दर्द निवारक, आराम करके और बहुत सारा तरल प्रदार्थ लेकर मैनेज किया जा सकता है। 


अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत?

जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण है उनमें से अधिकतर लोग आराम करने और पैरासिटामॉल जैसी दर्द कम करने की दवा लेने से ठीक हो सकते हैं। अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत तब होती है जब व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाए. मरीज़ के फेफड़ों की जांच कर डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि संक्रमण कितना बढ़ा है और क्या मरीज़ को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की ज़रूरत है। लेकिन इसमें मरीज़ को अस्पताल के आपात विभाग यानी ऐक्सीडंट एंड इमर्जेंसी में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती.भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की वेबसाइट पर कोरोना संक्रमण से जुड़ी हर जानकारी दी गई है. ब्रितानी नागरिक एनएचएस111 की वेबसाइट पर कोरोना से जुड़ी सभी जानकारी ले सकते हैं। अगर मरीज़ को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है तो वो भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 या फिर 24 घंटों चलने वाले टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क कर सकते हैं. देश के विभिन्न राज्यों ने भी नागरिकों के लिए हेल्पलाइन शुरु किए हैं जहां ज़रूरत पड़ने पर फ़ोन किया जा सकता है। 


कोरोना वायरस से कैसे बचाएं?

कोरोना वायरस यानी 'कोविड 19' से बचने के लिए आप नियमित रूप से अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोएं। जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैलते हैं. इन कणों में कोरोना वायरस के विषाणु होते हैं। 

संक्रमित व्यक्ति के नज़दीक जाने पर ये विषाणुयुक्त कण सांस के रास्ते आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो ये कण आपके शरीर में पहुंचते हैं। ऐसे में खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करना, बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छूना और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। 

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