किसी तरह का कोई विवाद न होने पाए, इसलिए प्रशासन ने जुलूस के रास्ते में पड़ने वाली दर्जनों मस्जिदों और मज़ारों को तिरपाल से ढक दिया है। मस्जिदों को ढकने का काम पिछले कई सालों से होता आ रहा है। होली के दिन शहर में लाट साहब के दो जुलूस निकलते हैं. मुख्य लाट साहब जुलूस क़रीब आठ किमी लंबा होता है जिसे तय करने में तीन घंटे से ज़्यादा समय लगता है।
लाट साहब के जुलूस में?
जुलूस में एक व्यक्ति को लाट साहब के रूप में भैंसा गाड़ी पर बैठाया जाता है और फिर उसे जूते और झाड़ू मारते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर ज़िले में 'जूतामार' होली की एक अनोखी परंपरा चली आ रही है जिसमें क़रीब आठ किमी लंबा 'लाट साहब' का जुलूस निकलता है। जुलूस कूचा लाला मोहल्ले से निकलकर पहले मंदिर पर आता है फिर सराफ़ा मार्केट से होता हुआ कोतवाली पहुंचता है। लाट साहब जुलूस के आयोजकों का कहना है कि पहले इसे नवाब जुलूस कहा जाता था लेकिन बाद में यह लाट साहब जुलूस बन गया।
इस दौरान शहर के आम लोग भी लाट साहब को जूते फेंक कर मारते हैं। इसी तरह एक दूसरा छोटा लाट साहब जुलूस भी उसी दिन निकलता है। इस दौरान सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने न पाए, इसके लिए पुलिस और प्रशासन ने रास्ते में पड़ने वाले धर्मस्थलों, ख़ासकर मस्जिदों और मज़ारों को प्लास्टिक और तिरपाल से ढक जाता है और रास्ते भर में पुलिस बलों की तैनाती कर रखी जाती है।
शाहजहांपुर के नगर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार के मुताबिक जुलूस के रास्ते में आने वाले क़रीब 25 मस्जिदों और मज़ारों को प्रशासन अपने ख़र्च पर ढक दिया है ताकि माहौल ख़राब करने के लिए कोई असामाजिक तत्व रंग या फिर कुछ और न फेंकने पाए। हालांकि कभी यहां जुलूस की वजह से कोई तनाव नहीं हुआ है और न ही कोई ऐसी घटना हुई है लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर ऐसा हर शाल किया जाता रहा है। यह क़रीब आठ-दस साल से चलता आ रहा है।
जुलूस के रास्ते में छह बड़ी मस्जिदों के अलावा कई छोटी मस्जिदें और कुछ मज़ारें पड़ती हैं। दो दिन पहले ज़िले के आला अधिकारियों की स्थानीय लोगों के साथ बैठक हुई जिसमें सौहार्द बनाए रखने पर विचार हुआ । बरेली परिक्षेत्र केमहानिरीक्षक राजेश कुमार पांडेय का कहना था कि मौलवी और इलाक़े के मुस्लिम समुदाय के लोग प्रशासन की इस पहल का स्वागत करते हैं और ख़ुद ही मस्जिदों की सुरक्षा के लिए उन्हें ढकने को कहते हैं। तथा ऊंहोने बताया कि शहर में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बल, पीएसी और कई ज़िलों की पुलिस फ़ोर्स भी बुलाई गई है जो मस्जिदों और पूरे शहर की सुरक्षा करेगी. इसके अलावा ड्रोन के ज़रिए भी जुलूस पर नज़र रखी जाएगी।
फ़िलहाल जुलूस को शांतिपूर्ण तरीक़े से निकालने के लिए ज़िलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक रोज़ाना समीक्षा कर रहे हैं और थाना स्तर पर पीस कमेटी की बैठकें आयोजित की जा रही हैं।
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