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बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी


 बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी ने निवेश के बाज़ार में फिर से एंट्री कर ली है. इस बार ये एंट्री शानदार है, ये कहना भी ग़लत नहीं होगा. एक पीस बिटकॉइन का रेट 16 लाख रुपए (क़रीब 22000 डॉलर) हो गया।ये तीन साल का सबसे अधिक रेट है. पिछले साल मार्च में ये रेट 5900 डॉलर था, ऐसे अनुमान भी लगाए जा रहे हैं कि ये क़ीमत 100,000 डॉलर तक पहुँच सकती है। 

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मनी है जिसे कोई केंद्रीय संस्था रेग्युलेट नहीं करती है। ये रुपए या डॉलर की तरह नहीं हैं लेकिन सामान ख़रीदने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन के लिए कई बिज़नेस कंपनियां भी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रही हैं. मुंबई की रहने वालीं रुचि पाल का कंस्ट्रक्शन का बिज़नेस है और वो क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल 2015 से कर रही हैं। वज़ीर एक्स भारत का मुख्य क्रिप्टोकरेंसी प्लैटफ़ॉर्म है. पिछले 6 महीने में 300 प्रतिशत अधिक यूज़र्स ने इस प्लेटफॉर्म पर साइनअप किया है। 

कंपनी के सीईओ निश्चल शेट्टी के मुताबिक,"मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के उस आदेश को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि वर्चुअल या क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल वित्तीय सेवा देने वाली फर्म नहीं कर सकतीं। 'इसके बाद लॉकडाउन हो गया और लोगों ने घर से काम करना शुरू किया. इससे लोगों को क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पढ़ने और रिसर्च करने का बहुत समय मिला. लोगों की नौकरियां चली गईं, और वो पैसे कमाने के नए तरीक़े खोजने लगे, इस महामारी ने लाखों लोगों को क्रिप्टो की तरफ़ आकर्षित किया. अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टर जैसे कि माइक्रोस्ट्रैटिजी, पे स्केल और पे पाल ने क्रिप्टोकरेंसी में काफ़ी पैसा लगाया है. इससे इस इंडसट्री को काफ़ी कैपिटल मिला."वज़ीर एक्स के अलावा मार्केट में जेब पे, कॉइन डीसीएस और कॉइन स्विच जैसी कंपनियां भी हैं।  वज़ीर एक्स के मुताबिक़ उनके यूज़र्स की औसत उम्र 24 से 40 साल के बीच है, वो लोग जो इंजीनियरिंग और तकनीक के बैकग्राउंड से हैं। क्रिप्टोकरेंसी की मार्केट वॉचडॉग के मुताबिक़ 16 दिसंबर, 2020 में भारत की चार प्रमुख क्रिप्टो करेंसी के बीच 22.4 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, एक मार्च तक ये आँकड़ा 4.5 मिलियन डॉलर था। इसके अलावा मार्च से अब तक मुख्य एक्सचेंज में 500 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के पैक्सफुल की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत बिटकॉइन का चीन के बाद एशिया में सबसे बड़ा मार्केट बन गया है॰ इसके अलावा दुनिया का छठा सबसे बड़ा मार्केट भी भारत है. अमेरिका, नाइजीरिया, चीन कनाडा और ब्रिटेन भारत से आगे हैं.कॉइन डीसीएक्स के सीइओ सुमित गुप्ता के मुताबिक़, "जिन लोगों को क्रिप्टोकरेंसी के पीछे की तकनीक पता है, वो इसमें निवेश करते हैं। 

 जानते है क्या भारत में क्रिप्टोकरेंसी क़ानूनन वैध है?

सनी बिटकॉइन के संस्थापक संदीप गोयनका के मुताबिक़, "बिटकॉइन भविष्य में पैसे का इंटरनेट बनेगा,  भारत की सरकार के पास ये मौक़ा है कि इस अवसर को पहचाने और बाहर आकर कहें कि ये ग़ैर-क़ानूनी नहीं हैं और इससे जुड़ी टैक्स पॉलिसी को सामने लाएं। दूसरे देशों में भी नए रेग्युलेशन धीरे-धीरे बन रहे हैं और भारत उनसे सीख कर अपने मुताबिक़ बदलाव कर सकता है. वो इंडस्ट्री के लोगों से बात भी कर सकते हैं और एकफ्रेमवर्क तैयार कर सकते हैं। हम फिनटेक और टेक्नॉलजी के लीडर हैं और इसका इस्तेमाल कर हम इस नई क्रांति का नेतृत्व तक सकते हैं."पूरी तरह से ऑनलाइन होने के कारण इसके ग़लत इस्तेमाल और फ्रॉड की भी आशंका बनी रहती है। यही सबसे बड़ा कारण है कि भारत के केंद्रीय बैंक ने इसका विरोध किया और 2018 में इसे बैन किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इसके इस्तेमाल की इजाज़त दे दी थी।  संस्थाओं को इससे बाहर आने के लिए तीन महीनों का समय दिया गया था।  आरबीआई ने इससे पहले इसके यूज़र्स और व्यापारियों को इसके ख़तरे से भी आगाह किया था। 

इस फ़ैसले को इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने चुनौती दी थी, जो कि अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी को सुप्रीम कोर्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया था.आरबीआई ने फ्रॉड के डर से ये फ़ैसला लिया था और वो इंतज़ार कर रहे थे कि सरकार इसे लेकर कोई गाइडलाइन जारी करे। 

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया का मानना है कि आरबीआई का ये फ़ैसला ग़ैर संवैधानिक था और किसी भी बिज़नेस को देश के बैंकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने का अधिकार है। 



बिटक्वाइन के फ़ायदे और नुकसान

बाज़ार में बिटक्वाइन के अलावा भी अन्य क्रिप्टो करेंसी उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल आजकल अधिक हो रहा है. जैसे- रेड क्वाइन, सिया क्वाइन, सिस्कोइन, वॉइस क्वाइन और मोनरो। साल 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने विनियमित संस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार नहीं करने के निर्देश जारी किए थे। लेकिन इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी। 

जिसपर सुनवाई के बाद, मार्च 2020 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन की इजाज़त दे दी थी.क्रिप्टो करेंसी के कई फ़ायदे हैं. पहला और सबसे बड़ा फ़ायदा तो ये है कि डिजिटल करेंसी होने के कारण धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं के बराबर है। क्रिप्टो करेंसी में रिटर्न यानी मुनाफ़ा काफ़ी अधिक होता है. ऑनलाइन ख़रीदारी से लेन-देन आसान होता है। क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन बिटक्वाइन जैसी वर्चुअल करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव माथे पर सिलवटें डालने के लिए काफ़ी है.पिछले पाँच साल में कई मौक़े ऐसे आये जब बिटक्वाइन एक ही दिन में बग़ैर चेतावनी के 40 से 50 प्रतिशत गिर गया। 2013 के अप्रैल में हुई गिरावट को कौन भूल सकता है जिसमें बिटक्वाइन की क़ीमत एक ही रात में 70 फ़ीसदी गिरकर 233 डॉलर से 67 डॉलर पर आ गई थी। 

अमरीकी शेयर बाज़ार वॉल स्ट्रीट के चिंता जताने के बावजूद वहाँ बिटक्वाइन के लेन-देन को जारी रखने की इजाज़त है. लेकिन नुक़सान की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसका सबसे बड़ा नुक़सान तो यही है कि ये वर्चुअल करेंसी है और यही इसे जोखिम भरा सौदा बनाता है। इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध ख़रीद-फ़रोख्त जैसे अवैधकामों के लिए किया जा सकता है। इस पर साइबर हमले का ख़तरा भी हमेशा बना रहता है। 


क्या है बिटक्वाइन-

बिटक्वाइन एक डिजिटल करेंसी या कहें कि एक वर्चुअल करेंसी है। जैसे भारत में रुपया, अमरीका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड चलता है और ये फ़िज़िकल करेंसी होती हैं जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।  लेकिन क्रिप्टो करेंसी की कहानी कुछ अलग है। दूसरी करेंसी की तरह इसे छापा नहीं जाता और यही वजह है कि इसे आभासी यानी वर्चुअल करेंसी कहा जाता है। 

बिटक्वाइन के बारे में दो बातें सबसे अहम हैं,एक तो ये कि बिटक्वाइन डिजिटल यानी इंटरनेट के ज़रिए इस्तेमाल होने वाली मुद्रा है और दूसरी ये कि इसे पारंपरिक मु्द्रा के विकल्प के तौर पर देखा जाता है.जेब में रखे नोट और सिक्कों से जुदा, बिटक्वाइन ऑनलाइन मिलता है। बिटक्वाइन को कोई सरकार या सरकारी बैंक नहीं छापते। एक्सपीडिया और  माइक्रोसॉफ़्ट जैसी कुछ बड़ी कंपनियाँ बिटक्वाइन में लेन-देन करती हैं। इन सब  प्लैटफ़ॉर्म पर   यह एक वर्चुअल टोकन की तरह काम करता है। हालांकि बिटक्वाइन का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल निवेश के लिए किया जाता है। 


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