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दिल्ली के आईटीओ पर बवाल के बीच एक शख़्स की मौत;ट्रैक्टर परेड

 


नए कृषि क़ानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे किसानों पर दिल्ली पुलिस कहीं लाठियाँ बरसाती नज़र आई तो कहीं किसान प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ कर सेंट्रल दिल्ली में जबरन घुसते नज़र आए। 

कहीं प्रदर्शनकारियों के हाथ में तलवारें दिखीं तो कहीं बस तोड़ते आंदोलनकारी तो कहीं आंसू गैस के गोले दागते पुलिस वाले।  किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के आईटीओ पर हुए बवाल में एक व्यक्ति की मौत हो गई. नाराज़ किसान आईटीओ पर शव रखकर प्रदर्शन कर रहे हैं और हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। 

प्रदर्शनकारी किसान सुबह गाज़ीपुर बॉर्डर से दिल्ली की तरफ बढ़े और आईटीओ पहुंचे, जहां किसानों और पुलिस के बीच स्थिति तनावपूर्ण हो गई. पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और किसानों के भी पत्थरबाज़ी करने की ख़बर है। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई. जिस व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है, उनकी पहचान उत्तराखंड के बाजपुर के नवनीत सिंह के रूप में हुई है। किसानों ने मृतक का शरीर ढँक दिया है और वो काफ़ी ग़ुस्से में नज़र आ रहे हैं. वो कुछ पूछने पर ठीक से जवाब नहीं दे हे हैं. आस-पास के लोगों ने बताया कि उन्हें गोली लगी है और उनके शरीर पर गोली लगने जैसा कोई निशान है. हालाँकि इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो यहां से नहीं हटेंगे. प्रगति मैदान की तरफ खड़े पुलिस वाले डंडे और लाठी लेकर उनकी तरफ बढ़ रहे हैं और उनके ख़िलाफ़ गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं। 


आईटीओ चौराहे के पास एक तरफ दिल्ली पुलिस का मुख्यालय है तो दूसरी तरफ प्रगति मैदान को जाने वाली सड़क है.किसानों का कहना है कि पहले पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े और उन्हें मारा है। सुरक्षा के लिहाज़ से यहां इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। आंसू गैस के गोले छोड़ने की आवाज़ें लगातार रही हैंकिसान ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर से जिस तरह की हिंसक तस्वीरें आईं वो पिछले 60 दिनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन से बिलकुल अलग थीं। गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के किसान नए कृषि क़ानूनों के विरोध में शांति पूर्ण तरीके से ट्रैक्टर रैली निकालना चाहते थे।  मंगलवार को रैली जब शुरू हुई तो सब कुछ तय कार्यक्रम के मुताबिक़ नहीं हुआ। 

किसानों की ट्रैक्टर रैली से कुछ जत्थे राजधानी दिल्ली के अंदर पहुँचे और लाल किले पर जाकर अपना झंडा फहरा दिया। इसके अलावा पुलिस के साथ कई जगहों पर टकराव, लाठी चार्ज और आँसू गैस के गोले छोड़े गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ टकराव में कई लोग और पुलिस वाले घायल हुए हैं. सिंघु, टिकरी, शाहजहांपुर, चिल्ली और गाज़ीपुर की सीमाओं पर बने तनाव की तस्वीरें सामने आईं, जहाँ बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टरों के साथ मौजूद हैं। किसान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हिंसा के प्रयोग का आरोप लगाया वहीं कई जगह पुलिस वाले बैरिकेडिंग तोड़ने वाले किसानों को रोकने का प्रयास करते नज़र आए। गणतंत्र भारत के 72 साल के इतिहासमें 26 जनवरी के दिन ऐसी हिंसा की ख़बरें इससे पहले देखने को नहीं मिली थी। आम तौर पर गणतंत्र दिवस की परेड का रास्ता यही होता है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से परेड को छोटा रखा गया था. फिर भी आईटीओ पहुंचने वाले कई रास्ते बंद थे।


गणतंत्र दिवस परेड ख़त्म होने के बाद प्रगति मैदान से आईटीओ की तरफ़ का पूरा रास्ता ट्रैक्टर और किसानों के पटा पड़ा था. किसान रैली के प्रस्तावित रूट में ये रास्ता नहीं था. पैदल चल कर जब मैं आईटीओ तक पहुँचा तो पुलिस की तरफ़ से प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे थे। कुछ 50 आंदोलनकारियों के हाथ में लोहे की रॉड थी. वो पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ने की कोशिश में जुटे थे. पूरे वाकये को रिकॉर्ड करने की कोशिश करने वालों से वो हाथापाई कर रहे थे. पुलिस ड्यूटी पर लगी बस को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया था। 

एक बजे के आसपास आईटीओ की तरफ़ से नई दिल्ली की ओर जाने वाले रास्ते की तरफ़ से एक शख्स आया और कहा कि उस तरफ़ एक ट्रैक्टर पलट गया है और एक शख्स की मौत हो गई है। हम उस तरफ़ बढ़े. पता चला मरने वाला शख्स उत्तराखंड का रहने वाला नवनीत है. पहले उस इलाके में बहुत पुलिस तैनात थी. लेकिन मौत की ख़बर के बाद पुलिस वहाँ से हट गई. आंदोलनकारियों ने उस शख़्स के शव को आईटीओ चौराहे पर रख दिया. पुलिस और प्रशासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों में काफ़ी ग़ुस्सा दिखा. आईटीओ से शाम को शव हटा लिया गया। "क़रीब 11 बजे किसानों का ट्रैक्टर मार्च शुरू हो गया और नारे लगाते हुए हज़ारों की संख्या में जब किसान नांगलोई पहुँचे तो एक बार पुलिस से उनकी फिर कहा सुनी हुई. दरअसल, किसान नांगलोई से सीधे पीरागढी की ओर जाना चाहते थे लेकिन दिल्ली पुलिस उन्हें तय रास्ते पर ही जाने को कह रही थी. यहाँ हज़ारों की संख्या में किसान कई घंटे नारेबाज़ी करते रहे. बाद में कुछ किसान तय रूट पर निकले तो कुछ पीरागढी की ओर. रास्ते में पुलिस की ओर से लगाई गई बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए किसान आगे बढ़ने लगे. उसके बाद उन्हें पुलिस ने भी नहीं रोका लेकिन नांगलोई चौक पर किसानों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव हो गया. पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े जिसमें कुछ लोगों के घायल होने की ख़बर भी है। 


इस बीच, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से किसान आईटीओ होते हुए दिल्ली के लालक़िले में दाखिल हो चुके थे. नांगलोई से दिल्ली में आए किसान भी लालक़िले पहुँच गए और देखते ही देखते लालक़िले पर किसानों का जमावड़ा हो गया. किसान घंटों लालक़िले की उस प्राचीर पर रहे जहां स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री झंडारोहण करते हैं. किसानों ने यहाँ तिरंगा भी फहराया और ट्रैक्टर मार्च भी किया। बाद में पुलिस ने किसानों को प्राचीर से उतार दिया, उसके बाद पैदल आए किसान धीरे-धीरे वहाँ से चले गए लेकिन कुछ किसान अब भी किले की तरफ़ जाते दिख रहे हैं, इस तरह शाम तरह शाम पाँच बजे तक भी आवाजाही जारी है, और यह इलाकों अभी किसानों से खाली नहीं हुआ है. यहाँ से सारे ट्रैक्टर जा चुके हैं, रास्ता खुल गए हैं जिन पर यातायात चल रहा है. लाल क़िला पर मामूली लाठी चार्ज के अलावा हिंसा और टकराव की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है। 

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