1-रवि पटवर्धन 2-इरफ़ान खान 3-ऋषि कपूर 4-वाजिद ख़ान 5-बासु चटर्जी 6- सुशांत सिंह राजपूत 7-सरोज ख़ान 8-जगदीप 9-कुमकुम 10-इब्राहिम अल्काज़ी 11-राहत इन्दौरी 12-पंडित जसराज 13-निशिकांत कामत 14-आशालता वबगाओंकर 15- एसपी बालासुब्रमण्यम 16- फ़राज़ खान 17-आसिफ़ बसरा 18-सौमित्र चैटर्जी 19-रवि पटवर्धन,
ऋषि कपूर-
फ़िल्म प्रेमी अभिनेता इरफ़ान खान के निधन से उभरे भी नहीं थे कि दूसरे दिन 30 अप्रैल को मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर का कैंसर के कारण निधन हो गया. साल 2018 में उन्हें ल्युकेमिया डिटेक्ट हुआ था और वो न्यूयॉर्क सिटी में इलाज के लिए गए थे।
एक साल के सफ़ल इलाज के बाद वापस आए ऋषि कपूर ने 29 अप्रैल को सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया. दूसरे दिन उन्होंने 67 की उम्र में आख़िरी सांस ली। हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के शो मैन कहे जाने वाले राज कपूर के दूसरे बेटे ऋषि कपूर ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत बाल कलाकार के तौर पर की थी. बतौर हीरो वो 1973 में फ़िल्म बॉबी से लॉन्च हुए जिसने उन्हें रोमांटिक हीरो का दर्जा दिया और इस इमेज में जो करीबन तीन दशक तक रहे। उनके इस इमेज को 2012 में बनी फ़िल्म अग्निपथ ने तोड़ा जिसमे वो पहली बार नकारात्मक भूमिका में नज़र आए। पचास साल के अपने फ़िल्मी करियर ने ऋषि कपूर यादगार फ़िल्में और किरदार निभाए जिसमें 'अमर अक़बर एन्थोनी', 'प्रेम रोग', 'क़र्ज़', 'सागर', 'चांदनी', 'हिना', 'दीवाना', 'बोल राधा बोल', 'दामिनी', 'नमस्ते लंदन', 'लक बाय चांस', 'लव आज कल', 'दो दूनी चार', 'डी डे', 'कपूर एंड संस', '102 नॉट आउट' और 'मुल्क' शामिल हैं।
2- इरफ़ान खान
पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित इरफ़ान खान फ़िल्म इंडस्ट्री के मंझे हुए कलाकारों में से एक थे. साल 1988 में "सलाम बॉम्बे" से अपना फ़िल्मी करियर शुरू करने वाले इरफ़ान खान ने अपने हुनर की बदौलत हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री और हॉलीवुड में एक अलग मुकाम हासिल किया। कई अभिनेताओं के लिए वो प्रेरणास्त्रोत भी बने. साल 2018 में इरफान खान ने ट्वीटर के ज़रिये बताया कि वो न्यूरोएंडोक्रिन ट्यूमर से जूझ रहे हैं. वो इलाज़ के लिए एक साल लंदन भी गए. वापस आकर उन्होंने फ़िल्म अंग्रेजी मीडियम में काम भी किया। कोरोना महामारी के दौरान देश में हुए लॉकडाउन के दौरान 28 अप्रैल 2020 को कोलन इन्फेक्शन के कारण इरफ़ान खान अस्पताल में भर्ती हुए और दूसरे दिन 29 अप्रैल को 53 की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. महज़ चार दिन पहले उनकी माँ सईद बेगम का जयपुर में निधन हुआ था। इरफ़ान खान आपने पीछे अपने काम की बड़ी विरासत छोड़ गए हैं जिसमें 'लाइफ ऑफ़ पाई', 'नेमसेक', 'पान सिंह तोमर', 'मक़बूल', 'द लंचबॉक्स', 'स्लम डॉग मिलियनेयर', 'इन्फर्नो', 'हासिल', 'पीकू', 'हिंदी मीडिम', 'तलवार' यादगार फ़िल्में शामिल हैं।
3- निम्मी
हिंदी सिनेमा के सुनहरे 50 और 60 के दशक की अभिनेत्री नवाब बानो उर्फ़ "निम्मी" ने 25 मार्च 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया.की कुछ यादगार फ़िल्में शामिल हैं.शोमैन राज कपूर नवाब बानो को फ़िल्मी परदे पर लेकर आए थे. रुपहले परदे पर आने के लिए राज कपूर ने उनका नाम बदल कर निम्मी भी रख दिया। अभिनेत्री निम्मी कई बड़ी फ़िल्मों का हिस्सा रही जिसमें बरसात, दीदार, दाग, आन, उड़नखटोला, कुंदन, भाई-भाई और बसंत बहार शामिल हैं।
4- बासु चटर्जी
93 साल के जानेमाने फ़िल्म निर्देशक बासु चटर्जी ने 4 जून 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया। दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले बासु चटर्जी ने 70 और 80 के दशक में माध्यम वर्गीय परिवार को केंद्र में रखते हुए कई ख़ूबसूरत कहानियाँ दर्शकों के सामने पेश की। इनमें 'रजनीगंधा', 'पिया का घर', 'चितचोर', 'छोटी-सी बात', 'स्वामी', 'खट्टा-मीठा', 'बातों-बातों में', 'चमेली की शादी', 'मनपसंद', 'अपने-पराये' जैसी फ़िल्में शामिल हैं
5-वाजिद ख़ान
एक जून को दिल का दौरा पड़ने से तबला वादक शराफ़त अली ख़ान के छोटे बेटे संगीतकार वाजिद ख़ान का निधन हो गया। 47 वर्षीय वाजिद ख़ान ने बड़े भाई साजिद ख़ान के साथ मिलकर फ़िल्म इंडस्ट्री में बतौर संगीतकार 1998 में सलमान ख़ान की फ़िल्म 'प्यार किया तो डरना क्या' से कदम रखा था। संगीतकार साजिद-वाजिद के नाम से मशहूर इस जोड़ी ने कई सपरहिट गाने दिए जिसमें सोनू निगम का म्यूज़िक एल्बम 'दीवाना' और फ़िल्में 'मुझसे शादी करोगी', 'तेरे नाम', 'दबंग', 'रॉउडी राठौड़', 'एक था टाइगर', 'हीरोपंती' शामिल है।
6-सरोज ख़ान
फ़िल्म इंडस्ट्री के पहली महिला कोरियोग्राफ़र सरोज ख़ान का 3 जुलाई 2020 को दिल के दौरा पड़ने से निधन हो गया. वो 71 साल की थीं. सरोज ख़ान ने महज़ 3 साल की उम्र से बतौर बाल कलाकार फ़िल्म इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया था। 68 साल के करियर में सरोज ख़ान ने कई बड़े नामचीन अभिनेता और अभिनेत्रियों को कोरियोग्राफ किया जिसमे माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी, ऐश्वर्या राय बच्चन, करीना कपूर, सलमान ख़ान और शाहरुख़ ख़ान भी शामिल हैं. माधुरी दीक्षित नेने उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना नृत्य में अपना गुरु मानती हैं। फ़िल्म इंडस्ट्री में उन्हें मास्टरजी कह कर सम्बोधित किया जाता था. अपने काम के लिए उन्हें तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. जिन फ़िल्मों के लिए उन्हें पुरस्कार मिला वो हैं देवदास फ़िल्म का गाना 'डोला रे डोला' और जब वी मेट का गाना 'ये इश्क़ हाए'।
7- सुशांत सिंह राजपूत
छोटे शहर से बॉलीवुड का सपना लेकर मुंबई आये सुशांत सिंह राजपूत को एकता कपूर ने 2010 में सीरियल 'पवित्र रिश्ता' से बतौर कलाकार प्रसिद्धि मिली. 2013 में फ़िल्म 'काई पो छे' से उन्होंने अपना फ़िल्मी सफर शुरू किया।
लेकिन नीरज पांडेय की बायोपिक फ़िल्म 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' ने उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में स्टार का दर्जा दिया.अपने सात साल के फ़िल्मी करियर में सुशांत सिंह राजपूत ने अपने अभिनय के विभिन्न पहलुओं से दर्शकों को रूबरू करवाया जिसमें छिछोरे, सोनचिरैया, केदारनाथ, डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी, पीके शामिल हैं। 14 जून 2020 को सुशांत अपने घर में पंखे से लटके मृत्य पाए गए. 34 की उम्र में उनकी असमय मृत्यु ने पूरे देश में आत्महत्या या मर्डर की बहस छेड़ दी. फ़िलहाल ये मामला CBI के पास है और इसकी अंतिम रिपोर्ट आई नहीं है। हांलाकि AIIMS ने सुशांत सिंह राजपूत केस को आत्महत्या घोषित कर दिया है। ये विडंबना है कि सुशंत की आख़िरी फ़िल्म 'छिछोरे' आत्महत्या की बजाय जिंदगी को एक मौक़ा देने के बारे में है. उनकी मौत के बाद उनकी फ़िल्म 'दिल बेचारा' रिलीज़ हुई थी।
8-कुमकुम
50 और 60 के दशक की अभिनेत्री कुमकुम जिन्हें लिजेंडरी निर्देशक गुरु दत्त ने खोज निकला था उनका 28 जुलाई 2020 को मुंबई में निधन हो गया। उनकी मौत की जानकारी अभिनेता जगदीप के छोटे बेटे नावेद जाफ़री ने सोशल मीडिया के ज़रिये दी। कुमकुम की मशहूर फ़िल्में प्यासा, बारिश, आर-पार, मिर्ज़ा ग़ालिब, उजाला, कोहिनूर, मिस्टर एक्स इन बॉम्बे, मदर इंडिया, नया दौर और सीआईडी रही थीं।
9-जगदीप
सूरमा भोपाली" का किरदार निभाने वाले प्रसिद्ध कलाकार जगदीप ने 81 उम्र में 8 जुलाई को दुनिया को अलविदा कह गए। तक़रीबन 70 साल फ़िल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे जगदीप ने कई यादगार किरदार निभाए लेकिन शोले फ़िल्म का "सूरमा भोपाली" के लिए उन्हें सालों तक याद किया गया। उन्होंने करीबन 400 फ़िल्मों में काम किया जिसमें 'मुन्ना', 'आर-पार', 'दो बीघा ज़मीन', 'ब्रम्हचारी', 'भाभी', 'दो भाई', 'खिलौना', 'रोटी', 'अपना देश', 'तूफ़ान', 'क़ुर्बानी', 'फूल और कांटे', 'जमाई राजा' और 'अंदाज़' शामिल हैं।
10-राहत इन्दौरी
कोरोना से लड़ते हुए दिल का दौरा पड़ने से मशहूर उर्दू कवि और बॉलीवुड गीतकार राहत इन्दौरी का 11 अगस्त 2020 को निधन हो गया. वे 70 साल के थे. राहत इंदौरी का जन्म एक जनवरी, 1950 को हुआ था. इंदौर के ही नूतन स्कूल से उन्होंने हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की। इंदौर के ही इस्लामिया करीमिया कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से एमए किया. बीते 40-50 सालों से वे मुशायरा और कवि सम्मेलनों अपनी शायरी पढ़ रहे थे। वे एक गंभीर शायर होने के साथ साथ युवा पीढ़ी की नब्ज़ को कैसे थाम लेते थे, इसका अंदाज़ा आप इससे लगा सकते हैं कि उनकी कविता 'बुलाती है मगर जाने का नहीं' तमाम सोशल प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गई। उन्होंने सर, खुद्दार, मर्डर, याराना, हमेशा, मुन्ना भाई एमबीबीएस, मीनाक्षी, क़रीब, मिशन कश्मीर जैसी फ़िल्मों के लिए गाने लिखे थे।
11- इब्राहिम अल्काज़ी
पद्म विभूषण सम्मान से नवाज़े गए इब्राहिम अल्काज़ी भारत के थिएटर के उन शख़्सियतों में से एक हैं जिनकी निष्ठा और योगदान से भारतीय थिएटर एक नया मुकाम हासिल कर सका। 15 साल तक वो नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के निर्देशक रहे. उस दौरान उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री के कई दिग्गज कलाकारों को प्रशिक्षित किया. इनमें नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, विजय मेहता, रोहिणी हट्टंगड़ी, सुहास जोशी, ज्योति सुभाष, ओम शिवपुरी और बी जयश्री। 4 अगस्त 2020 को दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया. वो 94 वर्ष के थे।
12- निशिकांत कामत
मराठी फ़िल्म "डोम्बिवली फ़ास्ट" से अपना फ़िल्मी करियर शुरू करने वाले निर्देशक-अभिनेता निशिकांत कामत ने 14 साल के अपने फ़िल्मी करियर में अजय देवगन, जॉन अब्राहम, रितेश देशमुख, इरफ़ान खान जैसे कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया और इंडस्ट्री में एक अलग एक मुकाम बनाया। 50 साल के निशिकांत कामत लीवर सिरोसिस यानी कलेजा ख़राब होने की बीमारी से जूझ रहे थे. 17 अगस्त को हैदराबाद के अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. 'मुंबई मेरी जान', 'फोर्स', 'लय भारी', 'दृश्यम', 'भावेश जोशी' निशिकांत कामत की कुछ चुनिंदा फ़िल्में हैं।
13-पंडित जसराज
संगीत के मेवात घराने से ताल्लुक रखने वाले गायक पंडित जसराज का अमेरिका में 17 अगस्त 2020 को निधन हो गया. पद्म विभूषण से सम्मानित जसराज की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. वो 90 साल के थे. साल में वो 6 महीने अमेरिका में और 6 महीने भारत में गुजारा करते थे। जब उनकी मौत हुई उस वक्त भारत में लॉकडाउन होने की वजह से उन्हें अमेरिका में ही रहना पड़ा था जहाँ उनकी संगीत अकादमी है. उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को मुंबई लाया गया जहाँ राजकीय सम्मान और 21 तोपों की सलामी के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बचपन से ही शास्त्रीय संगीत से जुड़े पंडित जसराज ने अपना पूरा जीवन शास्त्रीय संगीत को अर्पित कर दिया। था उन्होंने कई छात्रोंको शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी जिनमें से कई आज जानीमानी हस्ती हैं. इनमें संजीव अभयंकर, संदीप रानाडे, शशांक सुब्रमण्यम, अनुराधा पौंडवाल और साधना सरगम शामिल हैं।
14-एसपी बालासुब्रमण्यम
74 साल की उम्र में पद्मभूषण से सम्मानित गायक एसपी बालासुब्रमण्यम का निधन हो गया। पोस्ट कोरोना जटिलताओं के चलते 25 सितम्बर 2020 को उन्होंने अंतिम सांस ली. संगीत जगत के सबसे मशहूर गायकों की सूची में शामिल बालासुब्रमण्यम ने 40,000 से भी अधिक गाने गाये हैं। उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और हिंदी भाषा में गाने गाए हैं. एक वक्त था जब वो सलमान ख़ान पर फ़िल्माए गए सभी गाते थे, उन्हें सलमान की आवाज़ के तौर पर भी पहचाना जाने लगा था। बालासुब्रमण्यम को 6 बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया। उनके हिंदी हिट गानों में फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' के गाने और फ़िल्म 'हम आपके हैं कौन' के गाने के अलावा साजन फ़िल्म का 'देखा है पहली बार' और 'बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम' शामिल हैं. उनके गाए गानों में 'ये हसीन वादियां' और 'साथिया तूने क्या' भी काफी पॉपुलर हुए थे।
15-आशालता वबगाओंकर
मराठी फ़िल्मों का जानामाना चेहरा रहीं आशालता वबगाओंकर की 22 सितम्बर को मौत हो गई. महाराष्ट्र के सातारा डिस्ट्रिक्ट में टीवी सीरियल की शूटिंग के दौरान वो कोरोना संक्रमित हो गई थीं. वो 79 वर्ष की थी। उन्होंने मराठी के साथ-साथ कई हिंदी फ़िल्मों में भी काम किया जिसमें है अपने-पराये, उंबरठा, नमक हलाल, वो सात दिन, घायल, अग्निसाक्षी, सदमा, 1997 में बनी फ़िल्म दो आंखें बारह हाथ शामिल हैं।
16- आसिफ़ बसरा
तक़रीबन दो दशक से फ़िल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे आसिफ़ बसरा ने अपनी अदाकारी से लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने कई चर्चित फ़िल्मों और टीवी सिरीज़ में काम किया जिनमें ब्लैक फ्राइडे,परज़ानिया, ओउटसोर्सड, जब वी मेट, पाताल लोक, होस्टेज शामिल हैं। इस साल 12 नवंबर को हिमाचल में अपने घर पर वो फांसी लगाए हुए पाए गए. कथित तौर पर इसे आत्महत्या बताया जा रहा है।
17-फ़राज़ खान
90 के दशक के अभिनेता फ़राज़ खान हिट फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' से लांच होने वाले थे पर शूटिंग से पहले वो बीमार पड़ गए और उनकी जगह सलमान ख़ान ने ले ली. इसके बाद विक्रम भट्ट की फ़िल्म 'फरेब' से उन्होंने अपनी फ़िल्मी करियर की शुरुआत की। वो 'अमर अक़बर एंन्थोनी' फ़िल्म में ज़ेबीको का किरदार निभाने वाले अभिनेता युसूफ ख़ान के छोटे बेटे थे. फ़राज़ खान ने रानी मुख़र्जी के साथ 'मेहंदी' फ़िल्म में भी काम किया. लगातार सात फ़िल्में फ्लॉप होने के कारण उन्होंने अपना रुख़ टीवी की तरफ किया और कुछ धाराविहिकों में काम किया। इनमें लिपस्टिक, अचानक 37 साल बाद और श....... कोई है शामिल हैं. उनका आख़री काम रहा धारावाहिक 'नीली आँखें' जिसके बाद उन्होंने अभिनय को अलविदा कह दिया। अक्टूबर 2020 के महीने में मस्तिष्क संक्रमण से जूझ रहे फ़राज़ खान को सीने में तकलीफ़ के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया. उनके इलाज के लिए बड़े भाई फ़हमान ख़ान ने लोगों से वित्तीय मदद के लिए लोगों से गुहार लगाई। सलमान ख़ान और पूजा भट्ट से लेकर सभी कलाकार ने उनकी मदद भी की, 4 नवंबर 2020 को 50 साल के फ़राज़ खान का देहांत हो गया. इसकी जानकारी पूजा भट्ट ने सोशल मीडिया के ज़रिये दी।
18-रवि पटवर्धन
तेज़ाब, यशवंत, उंबरठा, अंकुश, राजू बन गया जेंटलमैन, तक्षक, हफ्ता बंद, बंधन, तेजस्विनी जैसी फ़िल्मों में कैरेक्टर एक्टर की भूमिका में नज़र आये। 5 दिसंबर की शाम को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वो 84 वर्ष के थे. उन्हें मराठी फ़िल्मों में उनरके शानदार भिनय के लिए जाना जाता है।
19-सौमित्र चैटर्जी
बंगाली फ़िल्म के जानेमाने अभिनेता, लेखक, निर्देशक और सत्यजीत राय के पसंदीदा कलाकार सौमित्र चटर्जी का 15 नवंबर 2020 को निधन हो गया. 85 साल के सौमित्र कोरोना संक्रमित थे. पद्मभूषण से सम्मानित सौमित्र चैटर्जी ने लेजेंडरी निर्देशक सत्यजीत राय के साथ 14 फ़िल्मों में काम किया। 60 साल के उनके फ़िल्मी सफर ने बांग्ला सिनेमा को एक अलग स्तर पर ला दिया. हिंदी भाषा में उन्होंने दो फ़िल्में बनाई जिसमें टीवी फ़िल्म निरुपमा और हिंदुस्तानी सिपाही शामिल हैं। अपूर संसार, जॉय बाबा फेलूनाथ, घरे बाइरे, चारूलता, अभिज्ञान, बेला शेषे, सोनार केल्ला, समान्तराल, अशनि संकेत बांग्ला बंगाल में उनकी मशहूर फ़िल्में रही।
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