एचएसआरपी ( हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट)
अगर आपकी कार पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) और उस गाड़ी में इस्तेमाल होने वाले ईंधन से जुड़ा स्टिकर (कलर कोडेड फ़्यूल स्टिकर) नहीं है तो अब आपकी गाड़ी का चालान हो सकता है।संशोधित एमवी एक्ट के अनुसार, एचएसआरपी न होने पर 10,000 रुपये तक का चालान हो सकता है जो फ़िलहाल 5,500 रुपये है. दिल्ली में रजिस्टर्ड उन गाड़ियों के लिए भी यही चालान की रक़म तय की गई है जिन पर कलर कोडेड फ़्यूल स्टिकर नहीं होंगे।
हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने अप्रैल 2019 से पहले ख़रीदी गईं सभी गाड़ियों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) का होना अनिवार्य कर दिया था। मंत्रालय ने इस योजना की शुरुआत 31 मार्च 2005 से की थी और गाड़ियों को यह प्लेट लगवाने के लिए दो साल का समय दिया था लेकिन आज भी देश में एचएसआरपी के बिना धड़ल्ले से गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही हैं। इसका ख़ास मक़सद गाड़ियों की चोरी और जालसाज़ी को बंद करना है क्योंकि एक गाड़ी में जब एक यूनिक एचएसआरपी लगाई जाती है तो उसकी और गाड़ी की जानकारी एक पुख़्ता तालमेल बनाती हैं।
इसके अलावा पुरानी नंबर प्लेट में आराम से छेड़छाड़ की जा सकती है या उसको बदला जा सकता है। इसको विस्तार से समझने के लिए पहले इस ख़ास नंबर प्लेट के बारे में समझना होगा।एल्युमिनियम की यह नंबर प्लेट सिर्फ़ दो नॉन-रियूज़ेबल लॉक से ही लगाई जाती है अगर यह लॉक टूट जाते हैं तो फिर साफ़ हो जाता है कि नंबर प्लेट से छेड़छाड़ की गई है। इसके साथ ही इस पर क्रोमियम धातु में नीले रंग का अशोक चक्र का होलोग्राम होता है जो 20 मिमी*20 मिमी के आकार का होता है। इस प्लेट में नीचे की ओर बाईं तरफ़ एक 10 अंकों का ख़ास पिन (पर्सनल आइडेंटिफ़िकेशन नंबर) होता है जिसे लेज़र से बनाया जाता है जो गाड़ी की सुरक्षा को पुख़्ता कर देता है। नंबर प्लेट पर लिखा गाड़ी का नंबर भी सामान्य नहीं होता बल्कि वो उभरा हुआ होता है. 45 डिग्री के कोण पर देखने पर इनके ऊपर 'इंडिया' लिखा दिखता है।
एचएसआरपी की खाशीयत-कलर कोडेड फ़्यूल स्टिकर क्या है?
1-कभी भी कोई गाड़ी चोरी होती है तो उसकी नंबर प्लेट बदल जाती है लेकिन जब एचएसआरपी आवश्यक हो जाएगी तो कोई नंबर प्लेट आसानी से नहीं बदली जा सकती। इसकी पहली वजह यह है कि इसे ऑटोमोबाइल डीलरशिप ही लगाते हैं जिनको यह प्राइवेट वेंडर्स से मिलती है. इन प्राइवेट वेंडर्स को राज्य का परिवहन विभाग मान्यता देता है. अगर आपको दोबारा कोई एचएसआरपी चाहिए तो उसके लिए आवश्यक जानकारियां देने के बाद ही वो गाड़ी के मालिक को दी जाती है। एचएसआरपी इसलिए भी फ़ायदेमंद है क्योंकि कार का इंजन नंबर और चेसिस नंबर इसके सेंट्रलाइज़्ड डेटाबेस में सेव रहता है. इस डेटा और 10 अंकों के पिन के ज़रिए किसी चोरी हुई कार को पहचाना जा सकता है।
2- गाड़ी में किस तरह का ईंधन इस्तेमाल होता है इसका पता लगाने के लिए कलर कोडेड फ़्यूल स्टिकर को दिल्ली परिवहन विभाग ने अनिवार्य कर दिया है। जून 2019 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सभी राज्यों से कहा था कि वो अपने यहां गाड़ियों पर होलोग्राम आधारित कलर कोडेड स्टिकर को लगाना सुनिश्चित करें।
जो गाड़ियां पेट्रोल या सीएनजी से चलती हैं उनके लिए नीला स्टिकर और जो डीज़ल से चलती हैं उनके लिए नारंगी रंग का स्टिकर तय किया गया था। इन कलर कोडेड स्टिकर में रजिस्ट्रेशन नंबर, रजिस्ट्रिंग अथॉरिटी, लेज़र से बने पिन, गाड़ी के चेसिस और इंजन नंबर जैसी जानकारियां भी होती हैं. गाड़ी की सुरक्षा के लिहाज़ से यह भी बेहद ज़रूरी हो जाते हैं।
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