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किसान प्रदर्शन कारण का क्या है । वो तीन कृषि क़ानून


 20 और 22 सितंबर, 2020 को भारत की संसद ने कृषि संबंधी तीन विधेयकों को पारित किया. 27 सितंबर को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिसके बाद ये तीनों क़ानून बन गए. इन क़ानूनों के प्रवाधानों के विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इन क़ानूनों के ज़रिए मौजूदा एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) की मंडियों के साथ साथ निजी कंपनियों को भी किसानों के साथ अनुबंधीय खेती, खाद्यान्नों की ख़रीद और भंडारन के अलावा बिक्री करने का अधिकार होगा।  

विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों को इस बात की आशंका है कि सरकार किसानों से गेहूं और धान जैसी फसलों की ख़रीद को कम करते हुए बंद कर सकती है और उन्हें पूरी तरह से बाज़ार के भरोसे रहना होगा। किसानों को इस बात की आशंका भी है कि इससे निजी कंपनियों को फ़ायदा होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य के ख़त्म होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ेंगी। 


हालांकि तीनों नए क़ानूनों में एपीएमसी मंडियों के बंद करने या एमएसपी सिस्टम को ख़त्म करने की बात शामिल नहीं है लेकिन किसानों को डर यह है कि इन क़ानूनों के ज़रिए निजी कंपनियों के इस बाज़ार में आने से अंत में यही होना है। 

2019-20 में केंद्र सरकार ने पंजाब और हरियाणा में 80 हज़ार करोड़ रुपये के गेहूं और धान की ख़रीद की. इनमें से अधिकांश किसान छोटे और सीमांत किसान हैं। निजी कंपनियों के आने से सरकार अनाज की ख़रीद कम कर सकती है या बंद कर सकती है, इस आशंका के चलते ही पंजाब के किसानों ने इन क़ानूनों के विरोध में जून-जुलाई से ही प्रदर्शन शुरू कर दिया था।  हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन में सितंबर में शामिल हुए। 

पंजाब और हरियाणा में यह विरोध प्रदर्शन पिछले कुछ महीनों से चल रहा था, लेकिन तब केंद्र सरकार और विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई, हालांकि तीनों क़ानून का राजनीतिक विरोध भी होने लगा था। ऐसे में विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान 26-27 नवंबर को दिल्ली की सीमा तक पहुंच गए, इसके बाद सरकार ने किसान संगठनों से बातचीत शुरू की. इसके बाद पंजाब और हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों के किसान भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने शुरू हुए। 

किसान जिन तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे इस तरह से हैं-

1- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून-2020,

2- कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून-2020,

3- आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020,

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