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वैक्सीन बनाने की रेस में और कौन-कौन शामिल कितनी कीमत,

 


ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनिका की वैक्सीन - ये वाइरल वेक्टर टाइप वैक्सीन है जिसकमें जेनेटिकली मॉडिफ़ाइड वायरस का इस्तेमाल किया गया है. इसे फ्रिज में सामान्य तापमान पर स्टोर किया जा सकता है और इसकी दो डोज़ लेनी होंगी. अब तक क्लिनिकल ट्रायल में इसे 62 से 90 फ़ीसद तक कारगर पाया गया है।( इस वैक्सीन के प्रति डोज़ की क़ीमत 4 डॉलर तक होगी।)

मॉडर्ना की वैक्सीन - ये एमआरएनए टाइप की कोरोना वैक्सीन है जिसे वायरस के जेनेटिक कोड के कुछ टुकड़े शामिल कर बनाया जा रहा है। इसे माइनस 20 डिग्री तापमान पर स्टोर करने की ज़रूरत होगी और इसे छह महीनों तक ही स्टोर किया जा सकेगा. इसकी दो डोज़ लेनी होंगी और अब तक हुए क्लिनिकल ट्रायल में इसे 95 फ़ीसद तक कारगर पाया गया है। (इस वैक्सीन के प्रति डोज़ की क़ीमत 33 डॉलर तक होगी। )

फ़ाइज़र की वैक्सीन - मॉडर्ना की वैक्सीन की तरह ये भी एमआरएनए टाइप की कोरोना वैक्सीन है। अब तक हुए क्लिनिकल ट्रायल में इसे 95 फीसदी तक कारगर पाया गया है. इसे माइनस 70 डिग्री के तापमान पर स्टोर करना होगा। (ये वैक्सीन दो डोज़ दी जाएगी और प्रति डोज़ की क़ीमत 15 डॉलर तक होगी। )

गामालेया की स्पुतनिक-वी वैक्सीन - ये ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन की तरह वाइरल वेक्टर टाइप वैक्सीन है जिसके अब तक हुए क्लिनिकल ट्रायल में 92 फ़ीसदी तक कारगर पाया गया है। इसे फ्रिज में सामान्य तापमान पर स्टोर किया जा सकता है और इसकी दो डोज़ लेनी होंगी। (इस वैक्सीन के प्रति डोज़ की क़ीमत 7.50 डॉलर तक होगी। )इसके अलावा रूस स्पुत्निक नाम की एक और वैक्सीन का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं चीनी सेना ने कैनसाइनो बायोलॉजिक्स की बनाई एक वैक्सीन को मंज़ूरी दे दी है. ये दोनों वैक्सीन ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन की तरह वाइरल वेक्टर टाइप वैक्सीन हैं।

न्यूज़ स्रोत- वैक्सीन बनाने वाली कंपनी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के जारी किए आंकड़ों के अनुसार

रूस राजधानी मॉस्को में क्लिनिक्स के साथ कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू कर रहा है। इसमें उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे अधिक ख़तरा है। 

वैक्सीनेशन के लिए रूस अपनी स्पुतनिक 5 वैक्सीन इस्तेमाल कर रहा है जिसे इस वर्ष अगस्त में रजिस्टर्ड कराया गया था। इस वैक्सीन को विकसित करने वालों का कहना है कि ये वैक्सीन 95 प्रतिशत प्रभावी है और इसका कोई बड़ा साइड इफेक्ट भी नहीं,हालांकि बड़े पैमाने पर इसका ट्रायल अभी भी जारी है। वैक्सीन पहले पाने के लिए रूस में हज़ारों लोगों ने अपना पंजीयन कराया है, लेकिन अभी ये साफ़ नहीं है कि रूस इस वैक्सीन को कितनी मात्रा में बना पाएगा।

भारत

एक अरब से ज़्यादा की आबादी वाले देश में हर किसी को वैक्सीन मिल पाएगी या नहीं? इस सवाल और टीकाकरण अभियान में आने वाली चुनौतियों को लेकर चिंता जताई जा रही है। लेकिन, फ़िलहाल सरकार द्वारा दी गई एक जानकारी ने एक नई चर्चा छेड़ दी है। मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान कहा कि पूरे देश के टीकाकरण की बात सरकार ने कभी नहीं की है. टीकाकरण सीमित जनसंख्या का किया जाएगा।

वैक्सीन की ज़रूरत क्यों है?

अगर आप चाहते हैं कि आपका जीवन वापस सामान्य हो जाए तो हमें वैक्सीन की आवश्यकता है।अब भी, बड़ी संख्या में लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण का ख़तरा हैं. फिलहाल, हम केवल अपने रहन-सहन पर संयम करके ही अधिक लोगों को मरने से रोक रहे हैं.लेकिन वैक्सीन हमारे शरीर को इससे सुरक्षित लड़ना सिखाएगी,यह या तो हमें पहली बार कोरोना वायरस संक्रमण होने से बचाएगी या कम से कम कोविड-19 को प्राणघातक होने से रोकेगी,वैक्सीन के साथ बेहतर उपचार ही 'कोरोना वायरस महामारी से बाहर निकलने की रणनीति' है। 

 

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