फिनलैंड की वायुसेना ने स्वास्तिक को अपने प्रतीक चिन्ह से हटा दिया है, दो पंखों के साथ स्वास्तिक का निशान वहां की वायुसेना कमांड का प्रतीक था। दशकों से फिनलैंड की वायुसेना इस चिन्ह का इस्तेमाल कर रही थी लेकिन इसे हिटलर की नाज़ी सेना और उसकी क्रूरता के साथ जोड़कर देखा जाता था. हालांकि स्वास्तिक का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। वायुसेना ने बिना किसी घोषणा के इस चिन्ह का इस्तेमाल बंद कर दिया है, इस बदलाव पर सबसे पहले हेलसिंकी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर तेइवो तैवैने ने ग़ौर किया। फिनलैंड की आज़ादी के बाद, साल 1918 में फिनिश वायुसेना का गठन हुआ था, तभी से वो स्वास्तिक का इस्तेमाल कर रहे थे, ये हिटलर की नाज़ी सेना से बहुत पहले का दौर था। साल 1945 तक सफ़ेद बैंकग्राउंड पर नीले स्वास्तिक का चिन्ह उनके हवाई जहाज़ों पर बनाया जाता था,फिनलैंड ने उस वक्त नाज़ी जर्मनी का साथ दिया था लेकिन इस प्रतीक का उद्देश्य नाज़ी के प्रति समर्थन दिखाना नहीं था। फिनिश वायुसेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद स्वास्तिक को हवाई जहाज़ों से हटा दिया गया लेकिन वायुसेना के कुछ यूनिट ने प्रतीक चिन्हों के तौर पर, झंडों या सजावट के लिए और वर्दियों पर इसका इस्तेमाल जारी रखा गया
जनवरी 2017 से ही वायुसेना कमांड का प्रतीक चिन्ह वायुसेना के सर्विस प्रतीक चिन्ह से मिलता जुलता है – एक सुनहरे चील के साथ पंखों का एक चक्र। प्रवक्ता ने बताया, यूनिट के प्रतीक चिन्ह को वर्दियों पर पहना जाता है, पुराने प्रतीक का उपयोग जारी रखना अव्यावहारिक और अनावश्यक माना जाता रहा था , जो समय-समय पर गलतफ़हमी पैदा करता था। फिनलैंड की वायुसेना ने स्वास्तिक को अपने प्रतीक चिन्ह से हटा दिया है, दो पंखों के साथ स्वास्तिक का निशान वहां की वायुसेना कमांड का प्रतीक था। दशकों से फिनलैंड की वायुसेना इस चिन्ह का इस्तेमाल कर रही थी लेकिन इसे हिटलर की नाज़ी सेना और उसकी क्रूरता के साथ जोड़कर देखा जाता था. हालांकि स्वास्तिक का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। वायुसेना ने बिना किसी घोषणा के इस चिन्ह का इस्तेमाल बंद कर दिया है। इस बदलाव पर सबसे पहले हेलसिंकी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर तेइवो तैवैने ने ग़ौर किया।
फिनलैंड की आज़ादी के बाद, साल 1918 में फिनिश वायुसेना का गठन हुआ था, तभी से वो स्वास्तिक का इस्तेमाल कर रहे थे, ये हिटलर की नाज़ी सेना से बहुत पहले का दौर था। साल 1945 तक सफ़ेद बैंकग्राउंड पर नीले स्वास्तिक का चिन्ह उनके हवाई जहाज़ों पर बनाया जाता था, फिनलैंड ने उस वक्त नाज़ी जर्मनी का साथ दिया था लेकिन इस प्रतीक का उद्देश्य नाज़ी के प्रति समर्थन दिखाना नहीं था। फिनिश वायुसेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद स्वास्तिक को हवाई जहाज़ों से हटा दिया गया लेकिन वायुसेना के कुछ यूनिट ने प्रतीक चिन्हों के तौर पर, झंडों या सजावट के लिए और वर्दियों पर इसका इस्तेमाल जारी रखा गया। जनवरी 2017 से ही वायुसेना कमांड का प्रतीक चिन्ह वायुसेना के सर्विस प्रतीक चिन्ह से मिलता जुलता है – एक सुनहरे चील के साथ पंखों का एक चक्र। प्रवक्ता ने बताया, यूनिट के प्रतीक चिन्ह को वर्दियों पर पहना जाता है, पुराने प्रतीक का उपयोग जारी रखना अव्यावहारिक और अनावश्यक माना जाता रहा था , जो समय-समय पर गलतफ़हमी पैदा करता था।
स्वास्तिक का इतिहास-
स्वास्तिक संस्कृत से लिया गया शब्द है जिसका अर्थ भलाई या अच्छा भाग्य होता है, हज़ारों सालों से भारत समेत दुनिया की कई सभ्यताएं स्वास्तिक का इस्तेमाल करती आ रही हैं, 20वीं सदी में स्वास्तिक पश्चिमी फै़शन का भी हिस्सा बन गया था। 1920 में अडोल्फ़ हिटलर ने स्वास्तिक को अपनी नेशनल सोशलिस्ट पार्टी का चिन्ह बनाया, हिटकर की क्रूरता और नरसंहार के कारण स्वास्तिक को पश्चिम के देशों में नाज़ीवाद और यहूदी विरोधी चिन्ह के तौर पर देखा जाने लगा। स्वास्तिक का निशान साल 1920 के आसपास फिनलैंड में डेटिंग से जुड़ी इमारतों पर भी देखा जा सकता था। वो बताते हैं, फिनलैंड में इसे एक सजावट का चिन्ह मानते हैं, कुछ हद तक ये वही है भी। साल 1889 में अक्सेले-गैलेन-कैल्लेला नाम के एक मशहूर फिनिश चित्रकार ने अपनी पेंटिग में स्वास्तिक का इस्तेमाल किया था। उन्होंने इसका इस्तेमाल फिनलैंड की ऑर्डर ऑफ द क्रास ऑफ लिबर्टी के डिज़ाइन में भी किया, उन्होंने बहुत छोटे हुक के साथ एक क्रॉस का उपयोग किया, इसलिए नाज़ी के चिन्ह से ये ज़्यादा मेल नहीं खाता, फिनलैंड के राष्ट्रपति के झंडे में भी इसी चिन्ह का इस्तेमाल होता है।
फिनिश वायुसेना तक कैसे पहुंचा स्वास्तिक-
स्वस्तिक को फिनिश वायु सेना तक स्वीडन के एक सम्मानित व्यक्ति ने पहुंचाया जिनका नाम एरिक वॉन रोज़ेन था। वो स्वास्तिक का इस्तेमाल एक ‘गुड लक चार्म’ यानि ख़ुद के लिए भाग्यशाली प्रतीक की तरह करते थे, उन्होंने 1918 में अपने नए स्वतंत्र पड़ोसी देश को एक विमान भेंट किया जिसपर पर नीले रंग का स्वस्तिक अंकित था। यह ‘थुलिन टाइप डी’ विमान फिनिश वायु सेना का पहला विमान था, इसके बाद 1945 तक सभी विमानों में उनका नीला स्वस्तिक चिन्ह बनाया जाने लगा। प्रतीक के इस्तेमाल का समर्थन करने वाले लोगों का तर्क है कि 1918 में नाज़ी नहीं थे, इसलिए वायु सेना के स्वस्तिक को नाज़ीवाद से जोड़कर देखना ग़लत है। एरिक वॉन रोज़ेन ने जब 1918 में उपहार दिया था, उस वक़्त कोई नाज़ी संघ नहीं था, हालांकि 1930 के दशक में वो स्वीडन में नेशनल सोशलिस्ट मूवमेंट का एक मुख्य चेहरा बनकर सामने आए थे, वह वरिष्ठ जर्मन नाज़ी हरमन गोरिंग के बहनोई भी थे। प्रोफ़ेसर तैयिवो तैवैने के मुताबिक़ वो हिटलर के अच्छे मित्र भी थे। फिनिश वायु सेना ने कहा है कि वॉन रोसेन का प्रतीक होने के नाते, स्वस्तिक कुछ वायु सेना इकाई के झंडों और सजावटों का हिस्सा बना रहेगा लेकिन केंद्रीय वायु सेना कमांड का हिस्सा नहीं रहेगा। तैवेने ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने कभी यह तर्क नहीं दिया था कि फिनलैंड में स्वस्तिक को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए (जैसा कि जर्मनी में किया गया है)। लेकिन उन्होंने कहा कि सेना का कर्तव्य "राष्ट्र की रक्षा करना है - 1918 में दिए गए पुराने प्रतीक की रक्षा करना नहीं जिसे किसी स्वीडिश ने दिया है। वह चिंतित थे कि यह फिनलैंड के युवाओं का सेना के प्रति रवैये को प्रभावित कर सकता है। फिनलैंड का विशाल पड़ोसी रूस भी ये समझ सकता है फ़िनलैंड अभी तक उसका शत्रु है, अगर फिनलैंड पर कभी ख़तरा हो तो ये सोच पड़ोसी देशों के समर्थन देने के फ़ैसले पर असर डाल सकती है। फिनिश फोर्स अकादमी के प्रतीक में अभी भी स्वस्तिक का चिन्ह है जिसके साथ पंख लगे हुए हैं। केंद्रीय एयरफ़ोर्स कमांड से स्वास्तिक के चिन्ह को अचानक से हटा देना ये दर्शाता है कि सेना के उच्च अधिकारी वॉन रोज़ेन के नीले और सफ़ेद स्वास्तिक से आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।
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