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पद्मानभस्वामी मंदिर का रहस्यमयी आख़िरी दरवाज़ा खुलेगा या नहीं?


केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाया है और त्रावणकोर के शाही परिवार को ही इसका ट्रस्टी बरक़रार रखा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़ मंदिर मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासनिक समिति बनाई जाएगी, तब तक अस्थायी तौर पर कोर्ट की कमेटी और ज़िला न्यायाधीश उसकी देख-रेख करेंगे। लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक़ कोर्ट ने मंदिर के आख़िरी कमरे यानी 'वॉल्ट बी' को खोले जाने को लेकर कुछ नहीं कहा है और इसके खोले या ना खोले जाने का फ़ैसला प्रशासनिक समिति पर छोड़ दिया है। लगभग 10 साल पहले ये मंदिर अचानक सुर्ख़ियों में आ गया था, जब पता चला कि इसके कमरों में एक लाख करोड़ रुपए से भी ज़्यादा का ख़ज़ाना है. लेकिन एक कमरा है जो आज तक नहीं खोला गया। 


क्या है इस मंदिर की कहानी?


ये मंदिर केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम में है और आज़ादी से पहले इस पर त्रावणकोर के राजा का अधिकार था। भारत की आज़ादी के बाद जब त्रावणकोर और कोचिन रियासतों को मिलाया गया तो दोनों के बीच मंदिर को लेकर समझौता हुआ। उसके हिसाब से इस मंदिर के प्रशासन का अधिकार मिला त्रावणकोर के आख़िरी शासक को, जिनका नाम था चिथिरा थिरूनल। जब 1991 में उनकी मृत्यु हुई तो उनके भाई उत्तरादम वर्मा को इसकी कस्टडी मिली. साल 2007 में उन्होंने दावा किया कि इस मंदिर का ख़ज़ाना उनके शाही परिवार की संपत्ति है। 


इसके ख़िलाफ़ कई लोगों ने कोर्ट में मामला दायर किया. एक निचली अदालत ने मंदिर के कमरों को खोलने पर रोक लगा दी थी। लेकिन फिर 2011 में केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वो इस मंदिर के नियंत्रण के लिए एक ट्रस्ट बनाए। उसी साल शाही परिवार इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने इस फ़ैसले पर स्टे लगा दिया और कहा कि इस मंदिर के कमरों में जो मिलता है उसकी लिस्ट बनाई जाए.तब इस मंदिर के कमरों को खोलने का सिलसिला शुरू हुआ। 


मंदिर में आख़िर है क्या?


इस मंदिर में छह कमरे हैं- ए से लेकर एफ़ तक। इनमें से ई और एफ़ वॉल्ट को अक्सर खोला जाता है क्योंकि मंदिर के अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन वहीं रखे जाते हैं। सी और डी में सोने और चांदी के ज़ेवर रखे जाते हैं जिन्हें किसी ख़ास दिन पर इस्तेमाल किया जाता है। बाक़ी बचे ए और बी. इस ए वॉल्ट को जब खोला गया तो पता चला कि इसमें लगभग 1 लाख करोड़ का ख़ज़ाना है। इसी वॉल्ट में हिंदुओं में पूजे जाने वाले महाविष्णु की साढ़े तीन फीट की एक सोने की मूर्ति मिली थी, जो क़ीमती हीरों से जड़ी थी, एक 18 फुट लंबी सोने की चेन भी. हीरे, रूबी और क़ीमती पत्थरों के बोरे निकले। अब बात आती है वॉल्ट बी की. माना जाता है कि इस अकेले कमरे में ही बाक़ी सब कमरों से ज़्यादा ख़ज़ाना है. लेकिन कितना वो किसी को नहीं पता क्योंकि ये अभी तक खोला नहीं जा सका है। 


क्यों नहीं खुला आख़िरी कमरा?


त्रावणकोर शाही परिवार सदियों से इस मंदिर की देखरेख कर रहा है।  उनका तर्क है कि इसे कभी नहीं खोला जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना विश्वास और परंपरा के ख़िलाफ़ होगा। इस मंदिर को लेकर लोगों में तरह-तरह की मान्यताएँ हैं, मिथक हैं लोगों में मान्यता है कि इसे खोला गया तो बहुत बुरा होगा, सुप्रीम कोर्ट ने भी 2011 में कहा था कि फ़िलहाल वॉल्ट बी ना खोला जाए। 


उस वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज केएसपी राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सेलेक्शन कमेटी बनाई थी। वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को कोर्ट की मदद के लिए नियुक्त किया गया।  उन्होंने 577 पेज की एक रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की जिसमें मंदिर के प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। उनके सुझावों पर कोर्ट ने 2014 में सीएजी यानी नियंत्रण और महालेखा परीक्षक को मंदिर के खातों का स्पेशल ऑडिट करने के लिए रखा। लेकिन एक बार फिर इस मंदिर का अधिकार शाही परिवार के पास आ गया है। सूत्र


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