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क्या चींटियां खाने से हमारी उम्र बढ़ सकती है?


कोलंबिया के एंडीज पहाड़ों पर बसे औपनिवेशिक शहर बारिचरा में साल का सबसे अहम दिन क्रिसमस, नया साल या ईस्टर का नहीं होता। यहां साल के सबसे अहम दिन को स्थानीय लोग 'ला सैलिडा' कहते हैं, जिसका अर्थ होता है बाहर निकलना। 


इस दिन बारिचरा की गलियों में कुछ होने की आशा बढ़ जाती है. गलियां बुहारने वाले और घरों में साफ-सफाई करने वाले लोग अपना काम बंद कर देते हैं।  बच्चे स्कूल से बाहर निकल आते हैं और दुकानदार दुकान छोड़कर गायब हो जाते हैं। सभी लोग बेशकीमती "होर्मिगस कुलोनस या बड़ी चींटी की तलाश में रहते हैं जिनको उत्तर-मध्य कोलंबिया के सांटेंडर इलाके में कैवियार (मछली के बेशकीमती अंडे) समझा जाता है। हर साल वसंत में आसपास के देहाती इलाकों से ऐसी लाखों चींटियां पकड़ी जाती हैं।  मनोवैज्ञानिक से शेफ बनी मार्गेरिटा हिगुएरा 2000 से बारिचरा में रह रही हैं.वह कहती हैं,इसमें पहले आओ पहले पाओ चलता है। अगर आपने किसी चींटी के घोंसले के ऊपर अपनी बाल्टी रख दी तो वह आपका हुआ, भले ही ज़मीन आपकी हो या न हो।


 


चींटी पकड़ने का उत्सव


हर साल मार्च या अप्रैल में यह उत्सव तब होता है जब भारी बारिश के बाद तेज़ धूप निकली हो और रात में चांदनी बिखरी हो। ला सैलिडा से चींटियों का सालाना प्रजनन मौसम शुरू होता है जो दो महीने तक जारी रह सकता है. इसी दौरान स्थानीय लोग ज़्यादा से ज़्यादा रानी चींटियों को पकड़ने के लिए छीना-छपटी करते हैं। अंडों से भरी हुई और प्रजनन के लिए तैयार भूरी, कॉकरोच के आकार की रानी चींटियां किसी ट्रॉफी की तरह होती हैं। उनका पिछला हिस्सा फूलकर मटर के दाने जैसा होता है, इसे नमक मिलाकर भूनने से यह मूंगफली, पॉपकॉर्न या खस्ते बेकन जैसा लजीज हो जाता है। चींटियों के पंखों को अलग करते हुए हिगुएरा कहती हैं, मेरे लिए यह जायका अनोखा होता है। यह मेरे अतीत की याद दिलाता है. मुझे याद है कि एक बार मेरे दादाजी चींटियों से भरा एक पूरा बैरल खरीदकर लाए थे। हम अंदर उनके सरसराने की आवाज़ सुन सकते थे. उनको तैयार करने के लिए पूरा परिवार एक साथ बैठा था। रानी चींटियों को लजीज पकवान की तरह खाया जाता है, सड़क किनारे की कुछ दुकानों में उनको तैयार किया जाता है। 


कामकाजी परिवारों की रसोइयों में उनको भूना जाता है और वे पूरे कोलंबिया के महंगे रेस्तरां के मेन्यू में भी शामिल हैं। एक किलो रानी चींटियों के बदले तीन लाख पेसो (65 पाउंड) मिल सकते हैं।  इस तरह ये कोलंबिया के मशहूर कॉफी से भी महंगे हैं. स्थानीय लोगों के लिए ये कमाई के अच्छे स्रोत हैं। बारिचरा में सड़कों की सफाई करने वाले फ़ेडेरिको पेड्राज़ा कहते हैं, "होर्मिगस जमा करके मैं एक ही दिन में हफ्ते भर के बराबर कमा सकता हूं. लेकिन यह मुश्किल काम है. चींटियां रानी चींटी को आसानी से ले जाने नहीं देतीं। 


ख़तरा बहुत है-


यह काम टखने की ऊंचाई तक के रबर बूट और लंबी आस्तीन पहनकर किया जाता है। काम तेज़ी से निपटाना पड़ता है वरना रानी की सुरक्षा के लिए तैनात कॉलोनी की सैनिक चीटिंयां हमला कर देती हैं. उनके काटने से तीखा दर्द होता है और ख़ून बाहर आ सकता है। गांव वाले खेतों में फैल जाते हैं और उनके पास जो भी हो- थैला, मग, बरतन या बोरा- उसमें रानी चींटियों को जमा करते जाते हैं।  यह काम दिन में होता है जबकि उनका लजीज पकवान रात के भोजन में खाया जाता है। एटा लाविगाटा प्रजाति की चींटियां दक्षिण अमरीका की लीफ़कटर चींटिंयों के नाम से भी जानी जाती हैं। उनमें भरपूर प्रोटीन होता है, साथ ही ये अनसैचुरेटेड फ़ैटी एसिड से भरी होती हैं जो कोलेस्ट्रोल को बढ़ने नहीं देता। फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन" जर्नल में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि चींटियों में एंटी-ऑक्सीडेंट होता है और उनको नियमित रूप से खाने से कैंसर रोकने में मदद मिल सकती है। यही वजह है कि बारिचरा के लोग लंबी और सेहतमंद ज़िंदगी जीते हैं- यह दावा है सेसिलिया गोज़ालेज़-क्विंटेरो का जो पिछले 20 साल से कांच के जार में चींटियां बेच रही हैं. "चींटियां हमें विशेष ताक़त देती हैं- ख़ासकर बड़ी नितंब वाली रसदार चींटियां। 



पारंपरिक खाना


सांटेंडर के आसपास पिछले 1400 साल से होर्मिगस कुलोनस को खाया जाता है।  ऐतिहासिक रिकॉर्ड के मुताबिक मध्य कोलंबिया के देसी गुआन लोगों ने सबसे पहले 7वीं सदी में चींटियों की खेती और उसे खाना शुरू किया था. बाद में स्पेन से आए लोगों ने भी यह आदत अपना ली। जिन परिस्थितियों में इन चींटियों को पकड़ा जाता है उस वजह से इनको कामोत्तेजक भी माना जाता है। शादियों में अक्सर चीनी मिट्टी के बर्तनों में भरकर इनको उपहार के तौर पर दिया जाता है। एंडीज के देसी समुदायों में यह प्रथा आम है।  नारंगी-पीली ज़मीन पर चलने और इसी रंग की मिट्टी से पारंपरिक घर बनाने के कारण इन समुदायों को पीले पैर वाले समुदाय के रूप में जाना जाता है। पास के बुकरमंगा शहर में इन चींटियों की बड़ी-बड़ी धातु की मूर्तियां बनाई गई हैं।  दीवारों पर भी उनके रंग-बिरंगे चित्र देखे जा सकते हैं। टैक्सी ड्राइवर भुने हुए कुरकुरे होर्मिगस खाने के लिए रुकते हैं और बच्चे चींटियों के खिलौनों से खेलते हैं।


कोलंबिया का लजीज पकवान


हाल के वर्षों में, चींटियों के खाने की लोकप्रियता बढ़ी है।  इनकी पहचान अब स्थानीय व्यंजन की जगह पौष्टिक खाने की हो गई है। ग्राहकों की मांग पूरी करने के लिए हर साल ट्रकों में भरकर रानी चींटिंयां पूरे कोलंबिया में भेजी जाती हैं। राजधानी बगोटा के महंगे रेस्तरां के सीज़नल मेन्यू में भी उनको शामिल किया गया है, जैसे- मिनी-माल, जिसमें चींटियों को अमेज़ॉन की पिरारुकु मछली के साथ परोसा जाता है या भुने हुए बीफ़ के साथ काली मिर्च और चींटियों की चटनी दी जाती है। शेफ एडुआर्डो मार्टिनेज़ कहते हैं, चींटियां कोलंबिया के खानपान का अहम हिस्सा हैं। मार्टिनेज़ ने चींटियों को पहली बार तब चखा था जब वह नौ साल के थे और परिवार के साथ सांटेंडर आए थे. "मैं उनके प्रयोग को बढ़ावा देना चाहता हूं ताकि यह परंपरा कायम रहे। 


क्या चींटियां ख़त्म हो जाएंगी?


हाल में पेड़ कटने और शहरीकरण के कारण चींटियों और सांटेंडर के लोगों के बीच समस्याएं पैदा हुई हैं। आबादी बढ़ने से चींटियां इमारतों की नींव में घुस जाती हैं।  वे फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं जिससे किसानों के झगड़े होते हैं। स्थानीय गाइड और चींटी विशेषज्ञ एलेक्स जिमेनेज़ ने पेड़ की टहनी से चींटियों के घोंसले के दरवाजे पर कुछ हरकत की कुछ ही देर में सैंकड़ों सैनिक चींटियां हालात को समझने के लिए बाहर निकल आईं, जिमेनेज़ के मुताबिक एक घोंसले में कई हज़ार से लेकर 50 लाख तक चींटियां हो सकती हैं।  अगर सुरंगें सही बनाई गई हों तो उनकी लंबाई कई मील तक हो सकती है। घोंसले की रानी चींटी 15 साल तक ज़िंदा रहती है लेकिन उसके मरने के बाद कॉलोनी को वहां से जाना पड़ता है और नया निर्माण करना पड़ता है।  जिमेनेज़ कहते हैं, चींटियों की अपनी समझदारी होती है।  वे मिलकर काम करते हैं ताकि सबका अस्तित्व बना रहे. हजारों सालों से उनको खाया जा रहा है लेकिन वे ख़त्म नहीं होंगीं। अपनी बात साबित करने के लिए जिमेनेज़ पिछले साल का अनुभव बताते हैं।  चींटियों के प्रजनन मौसम में जिमेनेज़ अपने दोस्तों के साथ 6 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर निकले थे। देहाती इलाकों की उनकी यात्रा में 30 मिनट लगने चाहिए थे लेकिन उसमें चार घंटे लगे क्योंकि चींटियों को देखकर उनका दल रुक जाता था और अधिक से अधिक चींटियों को इकट्ठा करता था। पहाड़ियों पर पूरा गांव उनके साथ चींटियां जमा करने में जुट गया। उस रात पूरा शहर होर्मिगस की ख़ुशबू से भर गया था।  होर्मिगस! होर्मिगस! होर्मिगस!"अलावा, जलवायु परिवर्तन ने भी चींटियों के प्रजनन चक्र को प्रभावित किया है, अनियमित मौसम ने उनकी कॉलोनियों में आर्द्रता, धूप और बारिश के संतुलन को बिगाड़ दिया है। उनका मेटिंग सीजन बहुत विशिष्ट मौसम परिस्थितियों पर निर्भर करता है. यदि मिट्टी मुलायम न हो तो रानी चींटियां अपनी भूमिगत सुरंगों से आसानी से बाहर नहीं आ सकतीं। इसी तरह पेड़ कटने और शहरीकरण बढ़ने से चींटियों के प्राकृतिक आवास पर असर पड़ा है, उनके घोंसले फैलने की जगह सीमित हो गए हैं। बड़े पैमाने पर खपत के लिए चींटियों की ब्रीडिंग के तरीकों का अध्ययन कर रही बुकरमंगा की रिसर्चर औरा जुडिट कुआड्रोस कहती हैं, पारिस्थितिकी बदल रही है। यदि सही स्थितियां नहीं हैं तो चींटियां पैदा नहीं हो सकतीं या वे ज़मीन पर बाहर नहीं निकल सकतीं। फिर भी बारिचरा के ढलानों से लेकर सैन गिल, क्यूरिटि, विलेनुएवा और गुआन शहरों के चारों ओर फैली घाटियों में उनके मिलने का मतलब है कि इन चींटियों के अस्तित्व पर अभी कोई ख़तरा नहीं है।


लड़ाकू चींटियां


स्थानीय गाइड और चींटी विशेषज्ञ एलेक्स जिमेनेज़ ने पेड़ की टहनी से चींटियों के घोंसले के दरवाजे पर कुछ हरकत की, कुछ ही देर में सैंकड़ों सैनिक चींटियां हालात को समझने के लिए बाहर निकल आईं। जिमेनेज़ के मुताबिक एक घोंसले में कई हज़ार से लेकर 50 लाख तक चींटियां हो सकती हैं। अगर सुरंगें सही बनाई गई हों तो उनकी लंबाई कई मील तक हो सकती है। घोंसले की रानी चींटी 15 साल तक ज़िंदा रहती है लेकिन उसके मरने के बाद कॉलोनी को वहां से जाना पड़ता है और नया निर्माण करना पड़ता है। जिमेनेज़ कहते हैं, चींटियों की अपनी समझदारी होती है।  वे मिलकर काम करते हैं ताकि सबका अस्तित्व बना रहे। हजारों सालों से उनको खाया जा रहा है लेकिन वे ख़त्म नहीं होंगीं। अपनी बात साबित करने के लिए जिमेनेज़ पिछले साल का अनुभव बताते हैं।  चींटियों के प्रजनन मौसम में जिमेनेज़ अपने दोस्तों के साथ 6 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर निकले थे। देहाती इलाकों की उनकी यात्रा में 30 मिनट लगने चाहिए थे लेकिन उसमें चार घंटे लगे क्योंकि चींटियों को देखकर उनका दल रुक जाता था और अधिक से अधिक चींटियों को इकट्ठा करता था. पहाड़ियों पर पूरा गांव उनके साथ चींटियां जमा करने में जुट गया। सूत्र,


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