Header Ads Widget

">Responsive Advertisement

भारतीय सैनिकों की कील वाली रॉड से जान लेने के सवाल पर क्या बोला चीन,


भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की मौत को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। 


कील लगी रॉड से हमले पर क्या बोला चीन


गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान से पूछा- भारतीय अधिकारियों का कहना है कि सेना के एक कर्नल और अन्य सैनिकों पर चीन के सैनिकों ने कील लगे लोहे की रॉड से हमला किया. इस पर आपका क्या कहना है? दूसरा सवाल यह कि क्या हिंसक झड़प तब शुरू हुई जब भारतीय सैनिकों ने चीनी निर्माण को तोड़ दिया या एलएसी के पार करने पर?


इस सवाल के जवाब में चाओ ने कहा, ''इस मामले में क्या सही है और क्या ग़लत इसमें कोई उलझन नहीं है. ज़िम्मेदारी चीन की नहीं है।  हमने इस पर साफ़ बता दिया है कि मामला कैसे शुरू हुआ. सोमवार की रात सीमा पर तैनात भारत के सुरक्षा बलों ने दोनों देशों में कमांडर स्तर पर हुई बातचीत के बाद बनी सहमति को तोड़ दिया. भारतीय सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पार कर गए और जानबूझकर चीन के सैनिकों को उकसाना शुरू कर दिया और यहां तक कि हमला बोल दिया. इसके बाद आमने-सामने झड़प हुई और इसी में हताहत हुए. चीन की मांग है कि भारत पूरे मामले की जांच करे और जो ज़िम्मेदार हैं उन्हें सज़ा दे. भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोबारा ऐसा नहीं हो। चाओ ने कहा, ''हमलोगों ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच हुई बातचीत की जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर दी थी. दोनों पक्ष गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर शांतिपूर्ण समाधान पर सहमत हैं। समाचार एजेंसी एएफ़पी ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा- ऐसा लग रहा है कि भारत सरहद पर सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा रहा है।  जवाब में क्या चीन भी ऐसा ही करेगा? क्या चीन पूरे विवाद पर कुछ और कहेगा?चाओ ने इस सवाल के जवाब में कहा, भारत-चीन सीमा पर चीन के रुख़ के बारे में मैंने पहले ही सब कुछ बता दिया है. दोनों पक्ष विवाद को सुलझाने पर काम कर रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच सैन्य और राजनयिक दोनों स्तर पर बात हो रही है. इससे ज़्यादा मैं कुछ और नहीं बता सकता।


समाचार एजेंसी पीटीआई ने चाओ से पूछा कि अब अगला क़दम क्या है? क्या ऐसा कुछ है जिस पर दोनों पक्षों ने विचार किया है?


इस सवाल के जवाब में चाओ ने कहा, ''चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से कहा कि दोनों मुल्क उभरती हुई ताक़त हैं।  दोनों की आबादी एक अरब से भी ज़्यादा है. हम पारस्परिक आदर और समर्थन के साथ आगे बढ़ेंगे तो दोनों देशों के साझे हित पूरे होंगे. अगर हम अविश्वास और मतभेद को बढ़ाएंगे तो यह दोनों देशों के नागरिकों की महत्वाकांक्षा के उलट होगा. दोनों देश अहम सहमति तक पहुंचेंगे और उसका पालन करेंगे। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने पूछा था कि किसके आदेश पर भारतीय सैनिक तनाव वाले इलाक़े में बिना हथियार के गए थे. इस पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ''सीमा पर सैनिक हमेशा हथियार के साथ तैनात रहते हैं. ख़ासकर चौकी छोड़ते वक़्त. 15 जून को गलवान में भी ऐसा ही हुआ था. 1996 और 2005 के समझौतों के तहत हम लंबे समय से आमने-सामने होने पर हथियारों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस बयान से पहले सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने सवाल उठाए थे कि सब कुछ जानते हुए भी जवानों को बिना हथियार के क्यों भेजा गया? एचएस पनाग ने कहा था कि 200 साल के इतिहास में भारतीय सेना का ऐसा अपमान कभी नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा था कि सेना के जवान ऊपर के आदेश के कारण ही बिना हथियार के गए थे और वहां उनकी हत्या कर दी गई. एचएस पनाग के इस वीडियो को ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने सवाल पूछा था। अब जब विदेश मंत्री ने कहा कि सेना के जवान हथियार के साथ गए थे लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं किया. इस पर लोग सवाल कर रहे हैं कि चीन की सेना ने भारत के जवानों को बेरहमी से मारा और भारत के जवानों ने आत्मरक्षा में हथियारों का इस्तेमाल नहीं क्यों नहीं किया? यह कैसा समझौता है?ओडिशा से बीजेपी नेता बैजयंत जय पांडा ने ट्वीट कर राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ''भारतीय सैनिकों को बिना हथियार के किसने भेजा था? इसका जवाब है, वो समझौता जिसके तहत एलएसी पर दो किलोमीटर के भीतर हथियार रखने पर पाबंदी है. इस समझौते का आपकी पार्टी ने समर्थन किया था. आपको इतिहास का ज्ञान नहीं है.''हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने उस समझौते का हवाला देते हुए कहा, 1996 के समझौते का अनुच्छेद छह. यह समझौता सीमा प्रबंधन में प्रभावी है न कि रणनीतिक सैन्य संकट की स्थिति में. अगर सुरक्षा बलों की जान ख़तरे में होगी तो वो अपने सभी तरह के हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं।


भारत का क्या कहना है?


गुरुवार शाम भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया. अनुराग श्रीवास्तव से पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत हर साज़िश का जवाब देगा लेकिन यह जवाब कैसा होगा? चीन गलवान घाटी को अपना बता रहा है इस पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है? क्या भारत चीन के ख़िलाफ़ कोई आर्थिक क़दम उठाने जा रहा है?


इन सवालों के जवाब में अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ''भारत और चीन सैन्य और राजनयिक स्तर पर बात कर रहे हैं. 6 जून को दोनों पक्षों में कोर कमांडर के स्तर पर बात हुई थी. दोनों पक्षों में सहमति बनी थी कि वो बातचीत के हिसाब से पीछे हटेंगे. 15 जून की रात चीनी सेना ने पूर्वनियोजित तैयारी के साथ यथास्थिति का उल्लंघन किया. इसी वजह से हिंसक झड़प हुई और दोनों तरफ़ के लोग हताहत हुए. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बात में भारत ने कहा कि एलएसी का सम्मान होना चाहिए. कोई भी एकतरफ़ा फ़ैसला नहीं होना चाहिए. द्विपक्षीय समझौतों का सम्मान होना चाहिए. हम अपनी संप्रभुता और अखंडता को लेकर प्रतिबद्ध हैं। अनुराग श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद से भारत का कोई भी सैनिक ग़ायब नहीं है,


.


सेना के सूत्रों के अनुसार सोमवार की रात भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में कुल 76 सैनिक ज़ख़्मी हुए थे. इनमें से किसी भी हालत गंभीर नहीं है. 18 सैनिक लेह के अस्पताल में भर्ती हैं और बाक़ी के 56 अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं. सोमवार को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में कुल 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी। लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने पूरे विवाद पर इंडियन एक्सप्रेस में एक आलेख लिखा है. उन्होंने इस आलेख में लिखा है, ''पिछले सात सालों से चीन ऐसा कर रहा है. 2013 में डेपसांग, 2014 में चुमार, 2017 में डोकलाम और 2020 में लद्दाख. सीमा निर्धारण नहीं होने के कारण चीन दावा बढ़ाता जा रहा है. अब वो गलवान घाटी पर दावा कर रहा है जिस पर कोई विवाद नहीं था। समाचार एजेंसी



 


Post a Comment

0 Comments